Alexander History: दुनिया जीतने निकला अलेक्जेंडर दी ग्रेट एशिया में घुसते ही गाजा पट्टी की तरफ क्यों गया था? कहानी सिकंदर की

Alexander the Great Biography in Hindi: आज से 2300 साल पहले यूनान का एक प्रिंस दुनिया जीतने निकला था. इतिहास उसे `अलेक्जेंडर द ग्रेट` के नाम से जानता है. 23 साल की उम्र में वह मेसीडोनिया से एशिया माइनर होते भारत की ओर बढ़ा. तब एशिया के विशाल भूभाग पर पर्शिया साम्राज्य काफी समृद्ध था. रास्ते में वह एक टेंपल गया था. इसके बाद ही वह (अलेक्जेंडर) दुनिया की करीब एक चौथाई धरती जीत सका था. Grab-Alexander (The Making of a God)

अनुराग मिश्र Mon, 26 Aug 2024-10:23 pm,
1/5

सिवा टेंपल कहां है, जहां गया सिकंदर महान

अलेक्जेंडर के पिता की हत्या के बाद मां ने उसके भीतर यह भावना पैदा की कि उसका असली फादर कोई और है और उसका जन्म बड़े मकसद के लिए हुआ है. अलेक्जेंडर को भी लगने लगा कि वह लिविंग गॉड यानी इंसान के रूप में देवता है. वह खुद को डेमीगॉड (आधा इंसान और आधा देवता) मानने लगा. हालांकि वह चाहता था कि दुनिया उसे गॉड के रूप में स्वीकार करे. मन में एक सवाल ये भी था कि क्या सच में वह भगवान है? एशिया माइनर (तुर्की) से आगे आज के समय में इराक की तरफ बढ़ने से पहले अलेक्जेंडर भूमध्य सागर के किनारे से होते हुए मिस्र (इजिप्ट) जाने का फैसला करता है. जबकि उसके करीबी चाहते थे कि सीधे बेबीलोन पर आक्रमण किया जाए जहां पर्शिया का शासक मौजूद था. लेकिन अलेक्जेंडर इजिप्ट जाता है और वहीं पर था सिवा टेंपल (Siwa Temple). फोटो - Alexander (The Making of a God) 

2/5

अलेक्जेंडर की पूरी कहानी

334 ईसा पूर्व में अलेक्जेंडर ने पर्शियन साम्राज्य पर आक्रमण किया था. आगे लड़ाई 6 साल चली. सीरिया के आगे बेबिलोन की तरफ बढ़ने से पहले वह इजिप्ट गया. इजिप्ट को जीतना उसके लिए ज्यादा जरूरी था. उसे डर था कि इजिप्ट को जीते बगैर समुद्री रास्ते से दूर हटा तो पलटकर मेसीडोनिया पर हमला हो सकता है या कम्युनिकेशन लाइन कट सकती है. राशन आदि की आपूर्ति भी रुक सकती थी. अलेक्जेंडर को इजिप्ट से पैसा भी खूब मिलता. इजिप्ट का प्रशासक पहले से ही पर्शिया शासन से नाराज था. उसे लगा कि अलेक्जेंडर आजाद कराने आया है. इजिप्ट ने सरेंडर कर दिया. अलेक्जेंडर ने इजिप्ट के बारे में काफी कुछ पढ़ रखा था. उसने अलेक्जेंड्रिया शहर की स्थापना की और अपनी छवि आक्रमणकारी से उलट राजा के तौर पर बनानी शुरू की. इसी दौरान उसने सिवा ओरैकल जाने का फैसला किया. यह दूर लीबिया बॉर्डर के पास रेगिस्तान में एक टेंपल था. ऊंटों के अलावा वहां दूसरे साधन से पहुंचना मुश्किल था. रास्ते में बड़ा भीषण तूफान आया लेकिन अलेक्जेंडर की जान बच गई. 570 ईसा पूर्व में तत्कालीन फैरो ने मिस्र के मुख्य देवता अमुन का यह टेंपल बनाया था. अमुन को देवताओं का देवता कहा जाता था. कुछ इसी तरह हिंदू देवों के देव महादेव को पूजते हैं. (फोटो- britannica.com)

3/5

सिवा टेंपल और बैल

सिवा (Siwa) का मिस्र में मतलब palm land होता है. आज भी सिवा टेंपल के कुछ हिस्से बचे हैं. टेंपल में बुल (बैल) का भी विशेष महत्व था. ब्रिटिश संग्रहालय में चौथी शताब्दी बीसी का एक पत्थर रखा है जिसमें फैरो अलेक्जेंडर को पवित्र बैल को वाइन अर्पित करते दिखाया गया है. सिवा टेंपल का इलाका रेगिस्तान में काफी उपजाऊ था. आसपास कई तालाब थे. खजूर और जैतून के पेड़ लगे थे. फोटो - Alexander (The Making of a God) 

 

4/5

सिकंदर को टेंपल से क्या मिला?

सिवा टेंपल के मुख्य पुजारी ने अलेक्जेंडर का ईश्वर के अंश के तौर पर स्वागत किया. दरअसल, ओरेकल एक ऐसी जगह थी जहां मुख्य पुजारी भविष्यवाणी या कहिए देववाणी कहते थे. उनकी बात का काफी सम्मान और प्रभाव था. अलेक्जेंडर यही सुनने भी आया था. ओरेकल ने घोषणा की कि वह मिस्र का असली राजा है और अमुन का बेटा है. वैसे, पुजारी दूसरे फैरो के लिए भी इसी तरह की घोषणा करते थी लेकिन अलेक्जेंडर को लगा कि यह ईश्वर का संकेत है कि वह दुनिया को जीत सकता है. यह अलेक्जेंडर की रणनीति का भी हिस्सा था जिससे लोग उसे वैध शासक के तौर पर स्वीकार कर सकें. अब अलेक्जेंडर पर्शियन शाही पोशाक में आ चुका था. आगे वह पूरे आत्मविश्वास के साथ बेबीलोन गया और पर्शिया के राजा के पीछे-पीछे हिंदुकुश पहाड़ियों तक जा पहुंचा. 

5/5

सिंधु नदी तक आया सिकंदर फिर...

उस समय तक्षशिला भारतीय नगर हुआ करता था. वहां के शासक ने जानबूझकर सिकंदर को भारत में आने दिया. अलेक्जेंडर दो महीने तक्षशिला में रहा. सिंधु नदी तक उसकी सेना आई. इस तरफ पोरस की विशाल सेना थी. गर्मी बढ़ रही थी और बारिश शुरू होने वाली थी. अलेक्जेंडर यानी सिकंदर ने पोरस को संदेश भेजा कि वह अधीनता स्वीकार कर लें. ऐसा नहीं हुआ. तूफान के बीच सिकंदर की सेना ने झेलम नदी पार की. जंग छिड़ी और पोरस ने सिकंदर को कड़ी चुनौती दी. बंदी बनाने के बाद घायल पोरस को सिकंदर ने छोड़ दिया. सिकंदर आगे गंगा तट तक आना चाहता था लेकिन सेना थक चुकी थी. सिकंदर लौट गया. सिकंदर 326 ईसा पूर्व में भारत की तरफ आया था. 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link