मुगल-अंग्रेज बर्फ की मशीन के बिना ड्रिंक्स में कैसे मिलाते थे आइस क्यूब?
Ice Making in India: कहा जाता है कि आने वाले समय को मशीन युग कहा जाएगा. इसकी शुरुआत अब हो चुकी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्राचीन भारत में जब मशीनें नहीं थी तब कैसे काम होता था. इस कड़ी में सबसे मजेदार किस्सा बर्फ का है.
कहा जाता है कि आने वाले समय को मशीन युग कहा जाएगा. इसकी शुरुआत अब हो चुकी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्राचीन भारत में जब मशीनें नहीं थी तब कैसे काम होता था. इस कड़ी में सबसे मजेदार किस्सा बर्फ का है.
मुगल और अंग्रेज जाम और शराब के दीवाने थे. लेकिन भारत में उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल तब आई जब उनके जाम में आइस क्यूब की जरूरत पड़ी.
मुगलों की बात करें तो एक दौर था जब हिमालय से बर्फ को आगरा तक लाया जाता था. इसे जूट से ढंककर पत्तों से लपेटकर इस तरह लाया जाता था कि कम बर्फ पिघले.
मुगलों के बाद जब अंग्रेजों का शासन आया तो उन्हें भारत की गर्मी ने खूब सताया. उस वक्त भी बर्फ जमाने की मशीन का इजाद नहीं हुआ था.
18वीं शताब्दी में अंग्रेज़ भारत में घुसे तो वे यहां की धूप-गर्मी से स्तब्ध रह गए. बहुत से लोग गर्मियों के लिए पहाड़ों पर चले जाते थे.
लंबा वक्त बीतने के बाद बोसोनियन व्यापारी फ्रेडरिक ट्यूडर ने इसका हल निकाला. 1833 में उन्होंने अपना पहला बर्फ से लदा जहाज कलकत्ता भेजा.
इसे मैसाचुसेट्स की झीलों से निकाली गई 180 टन प्राचीन बर्फ से पैक किया गया था, चूरा में लपेटा गया था, डबल-प्लैंक कंटेनरों में जहाज की पकड़ में रखा गया था.
इसके बाद बर्फ का व्यापार एक आश्चर्यजनक विजय बन गया, जो मद्रास और बॉम्बे तक फैल गया. बंबई, कलकत्ता और मद्रास की सड़कों पर बर्फ के विशाल भंडार जमा होने लगे.
बर्फ के व्यापार पर ट्यूडर की पकड़ 1860 के दशक तक जारी रही, जब तक कि बुढ़ापे के कारण उसकी पकड़ कमजोर नहीं हो गई.
1844 में डॉक्टर जॉन गोरी ने एयर कंडीशनर का आविष्कार किया. फिर बर्फ बनाने वाली मशीन का. इससे ट्यूडर आइस कंपनी ही नहीं पूरे बर्फ उद्योग पर असर पड़ने लगा.
1913 में रेफ्रिजरेटर का आविष्कार हुआ. जिसके बाद बर्फ बेचने का बिजनेस ठप पड़ने लगा. अब लोग घर में अपनी फ्रिज में बर्फ जमाने लगे थे. भारत में मध्य वर्गीय घरों में सही मायनों में फ्रिज 90 के दशक में ही पहुंची.