Artificial Sun: 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस! सूर्य के कोर से सात गुना ज्यादा गर्म, वैज्ञानिकों ने धरती पर उगाया `कृत्रिम सूरज`
South Korea Artificial Sun: साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है. उन्होंने `आर्टिफिशियल सूर्य` के तापमान को 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक ले जाने में सफलता पाई है. यही नहीं, न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंट के दौरान, वैज्ञानिक इस तापमान को 48 सेकेंड तक बरकरार रख पाए. इससे पहले का वर्ल्ड रिकॉर्ड सिर्फ 31 सेकेंड तक का था. साउथ कोरियाई वैज्ञानिकों ने लैब के भीतर हमारे सूर्य के कोर से सात गुना ज्यादा गर्म तापमान पैदा किया. यह भविष्य की एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. न्यूक्लियर फ्यूजन वह प्रक्रिया होती है जिससे सूर्य के भीतर ऊर्जा पैदा होती है. इसमें दो परमाणुओं को एक साथ लाया जाता है जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा बाहर निकलती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि न्यूक्लियर फ्यूजन से क्लीन एनर्जी हासिल की जा सकती है. इस प्रक्रिया से ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन प्रदूषण नहीं निकलता. हालांकि, पृथ्वी पर न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया को मास्टर करने में अभी काफी मुश्किलें आएंगी.
क्यों मुश्किल हैं ऐसे प्रयोग?
प्रोजेक्ट डायरेक्टर सी-वून यून ने CNN को बताया कि 'इतने हाई टेंपरेचर को लंबे समय तक बरकरार रख पाना बेहद मुश्किल है क्योंकि हाई टेंपरेचर वाले प्लाज्मा का नेचर बड़ा अनस्टेबल होता है.' KSTAR का मकसद 2026 तक प्लाज्मा के 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान को बरकरार रखने के समय को बढ़ाकर 300 सेकंड तक ले जाना है.
साउथ कोरिया में कैसे हुआ कृत्रिम सूर्य वाला प्रयोग?
कोरियन इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन टेक्नोलॉजी (KFE) में मौजूद KSTAR रिसर्च सेंटर में यह प्रयोग हुआ. KSTAR उस फ्यूजन रिसर्च डिवाइस का नाम है जिसमें यह प्रयोग किया गया. KSTAR को 'कृत्रिम सूर्य' भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने KSTAR के भीतर प्लाज्मा के तापमान को दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 के बीच चले प्रयोगों में 48 सेकंड तक 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस पर बरकरार रखा गया. तब 2021 के 30 सेकंड वाले रिकॉर्ड को तोड़ा गया था.
न्यूक्लियर फ्यूजन क्या है? कैसे बनती है ऊर्जा?
न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए भारी मात्रा में ऊर्जा पाने के लिए अभी 'टोकामक' नाम के रिएक्टर्स का यूज होता है. डोनट जैसे दिखने वाले इस रिएक्टर में हाइड्रोजन के अलग-अलग परमाणुओं को बेहद उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है जिससे प्लाज्मा बनता है. हाई टेंपरेचर और हाई डेंसिटी वाले प्लाज्मा, जिनमें लंबे समय तक रिएक्शंस हो सकें, न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर्स का भविष्य हैं.