Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर निर्माण का दूसरा चरण; सप्तमंडपम में विराजेंगे रामायण काल ये 7 महापुरुष
Ram Temple Construction: अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही निर्माण कार्य का दूसरे चरण का काम जारी है. इस समय मंदिर के पहले और दूसरे तल के साथ परिसर में बन रहे सप्तमंडपम का काम भी जोरों पर है. सप्तमंडपम की नींव की खोदाई का काम पूरा हो गया है. सप्तमंडपम में रामायण काल के 7 महापुरुष के मंदिर बनेंगे, जिनका प्रभु राम से विशेष जुड़ाव रहा है. आइए जानते हैं कि ये 7 महापुरुष और इनका प्रभु राम से जुड़ाव.
महर्षि वशिष्ठ
महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ के राजकुलगुरु थे. महर्षि वशिष्ठ ने प्रभु राम समेत अयोध्या के चारों राजकुमारों को शिक्षा दी.
ऋषि विश्वामित्र
ऋषि विश्वामित्र ही राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर गए थे और फिर वहां प्रभु राम ने स्वयंवर जीतकर सीता जी से विवाह किया था. साथ ही ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ में कोई बाधा ना आए इसके लिए प्रभु राम ने मारीच और सुबाहु राक्षस का वध भी किया था.
ऋषि अगस्त्य
भगवान शिव के परम भक्त महर्षि अगस्त्य के लिए कहा जाता है कि उनकी उत्पत्ति एक घड़े से हुई थी. वे राजा दशरथ के कुलगुरु वशिष्ठ के भाई थे. लंका पर विजय पाने से पहले भगवान राम इनके आश्रम में गए थे. कहा जाता है कि अगस्त्य ऋषि ने समुद्र में छिपे राक्षसों के अंत के लिए समुद्र का पूरा पानी पी लिया था.
महर्षि वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य 'रामायण' की रचना की. भील समुदाय में जन्मे महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था. पौराणिक कथाओं के अनुसार रत्नाकार अपने परिवार को पालने के लिए लोगों को लूटते थे लेकिन बाद में नारद जी से हुई एक मुलाकात ने उन्हें बदल दिया.
निषादराज
निषादराज निषादों के राजा का उपनाम है. वे ऋंगवेरपुर के राजा थे और उनका नाम गुह था. जब प्रभु राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पर जा रहे थे तब निषादराज गुह ने ही इन तीनों को गंगा नदी पार करवाई थी. वनवास के बाद श्रीराम ने अपनी पहली रात अपने मित्र निषादराज के यहां ही बिताई थी.
जटायु
जटायु अरुण देव के पुत्र थे. जब रावण सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने सीता को रावण से छुड़ाने का प्रयत्न किया था और रावण से युद्ध किया था. क्रोधित होकर रावण ने उनके पंख काट दिये थे, जब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते-खोजते वहां पहुंचे तो जटायु ने ही सीता हरण का पूरा विवरण उन्हें सुनाया था. जटायु की बताई पूरी कहानी प्रभु राम को बहुत मदद मिली थी.
माता शबरी
प्रभु राम की अनन्य भक्त माता शबरी भील समुदाय से थीं. वे मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थीं. जब प्रभु राम वनवास के दौरान मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचे तो माता शबरी ने उन्हें अपने जूठे बेर खिलाए थे. प्रभु राम ने वे जूठे बेर बड़े प्रेम से खाए थे.
2024 तक पूरा हो जाएगा इतना काम
साल 2024 के अंत तक राममंदिर के प्रथम और द्वितीय तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. साथ ही 750 मीटर लंबा परकोटा भी दिसंबर तक तैयार हो जाएगा. राममंदिर निर्माण में तेजी लाने के लिए टाटा कंसल्टेंसी, एलएंडटी के बाद अब राजकीय निर्माण निगम को भी शामिल कर लिया गया है. बता दें कि मंदिर निर्माण में गुणवत्ता को सर्वश्रेष्ठ रखने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है, ताकि राम मंदिर एक हजार साल तक सुरक्षित रहे.