कबूतरों को डालते हैं दाना तो जाएं सावधान, आपकी एक गलती से डैमेज हो सकते हैं शरीर के कई अंग
बेजुबान पशु-पक्षियों को खाना खिलाने से लोगों को आत्मिक शांति मिलती है. कई लोग इसे पुण्य का काम भी मानते हैं. लेकिन, कई बार ये आपकी ही सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है. आजकल जगह-जगह कबूतर दाना बेचने वाले नजर आ जाएंगे. लोग इनसे दाने खरीदते हैं और कबूतरों को खिलाते हैं. ये कबूतर घर की छतों, बालकनी, और रोशनदान पर डेरा डालते हैं और बीट करते हैं. कबूतर की बीट में क्लामाइडिया सिटिकाई नामक बैक्टीरिया होता है. ये बैक्टीरिया हवा के जरिए मनुष्यों के फेफड़ों तक पहुंच सकता है और सिटिकोसिस नामक संक्रमण का कारण बन सकता है. हाल के दिनों में इस संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है. आइए इस बीमारी से जुड़ी कुछ और अहम जानकारी जानते हैं.
क्लामाइडिया सिटिकाई नामक बैक्टीरिया
कबूतर की बीट में क्रिप्टोकोकोल फफूद बहुतायत में पाया जाता है. यह फफूद कबूतर के सांस लेने से हवा में आ जाता है और मनुष्य के सासों से होते हुए फेफड़े में चला जाता है.
वीक इम्यून सिस्टम
यदि मनुष्य की इम्युनिटी कम हुई है, जैसे कि डायबिटीज, एड्स, या किडनी/लीवर ट्रांस्पलंट के मरीजों में, तो ये फफूद फेफड़े से होते हुए, मनुष्य के ब्रेन में पहुंचते हैं और क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस कर देते हैं. यह बीमारी काफी गंभीर है और जानलेवा भी हो सकती है.
बीमारी का इलाज
क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस का इलाज एंटीफंगल दवाओं से किया जाता है. हालांकि, इस बीमारी का इलाज हमेशा सफल नहीं होता है.
बरते ये सावधानियां
- कबूतर के आसपास रहने से बचें. - यदि आपको कबूतर के आसपास जाना ही पड़े, तो मास्क पहनें. - कबूतर के बीट से दूषित सतहों को छूने से बचें. - कबूतर के बीट को साफ करने के लिए साबुन और पानी का इस्तेमाल करें. - चिड़ियों से प्रेम करें, लेकिन सावधानी से और सफाई के साथ.
बीमारी के लक्षण
क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस के लक्षण सिरदर्द, बुखार और मानसिक क्षमता में कमी हैं. यदि किसी व्यक्ति को इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.