मंदिर है या मस्जिद? कहानी बीजामंडल की जिसे देखकर डिजाइन की गई नई संसद!
Bijamandal Temple: मध्य प्रदेश में विदिशा के बीजामंडल को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है. इसी मंदिर को लेकर दावा किया जाता है कि इसी के तर्ज पर नई संसद भवन का निमार्ण किया गया है. आइए जानते हैं बीजामंडल की कहानी, क्या था इतिहास, फोटो में देखेंगे कैसे नई बनी संसद भवन इसी मंदिर की तरह दिखता है और साथ जानेंगे क्या है इन दिनों विवाद.
बीजामंडल को मस्जिद कहने पर हिंदू संगठनों के साथ बीजेपी के नेताओं ने गुस्सा जताया है. हिंदू संगठन और बीजेपी विधायक मुकेश टंडन ने कोर्ट जाने की बात कही है. उन्होंने बीजामंडल को 2500 साल पुराना सूर्य मंदिर होने का दावा किया है. हिंदू पक्ष के लोग इसे विजय मंदिर या बीजामंडल भी कहते हैं. उनका कहना है कि इसे ASI ने मस्जिद कैसे कह दिया.
इसी बीजामंडल मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर कहा गया कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बने नए संसद भवन का आकार भी हू-ब-हू इसी मंदिर से मिलता है. तस्वीरों के एक जैसे होने की वजह से लोग दावा करते हैं कि विदिशा के परमार कालीन विजय सूर्य मंदिर के मॉडल पर नए संसद भवन का डिजाइन तैयार किया गया है. विदिशा जिले का विजय मंदिर को परमार काल में परमार राजाओं ने बनवाया था.
बहुत ध्यान से दोनों जगहों की तस्वीरें आप देखेंगे तो पाएंगे कि भारत के नए संसद भवन की डिजाइन हुबहू मिलती हुई नजर आती है. तस्वीरों में दोनों के बीच कई समानताएं भी दिख रही हैं. कुछ लोग भारत के नए संसद भवन को अमेरिका के पेंटागन की नकल बताए, लेकिन कुछ लोग विजय मंदिर से मिलता जुलता बताते हैं.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्टर के तहत बने नए संसद भवन की ही तरह विजय मंदिर त्रिभुजाकार है, मंदिर का ऊंचा बेस और नए संसद भवन की डिजाइन भी काफी हद तक एक समान ही नजर आती हैं. विदिशा के विजय मंदिर का निर्माण परमार काल में परमार राजाओं ने कराया था. इस मंदिर को बाद में औरंगजेब ने ध्वस्त किया था.
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इतिहासकार बताते हैं कि 1682 के लगभग औरंगजेब ने तोपों से इस मंदिर को तुड़वा दिया था. बाद में जब मालवा का राज्य मराठों के पास आया तो उन्होंने एक बार फिर मंदिर का जीर्णोद्धार काम शुरु किया. वर्तमान में विजय मंदिर बीजा मंडल एएसआई के संरक्षण में है. 1951 की गजट अधिसूचना में बीजामंडल को मंदिर नहीं, बल्कि मस्जिद बताया गया है. दूसरी ओर हिंदू पक्ष का इसको लेकर दावा है कि यह 2500 साल पुराना सूर्य मंदिर है.
सरकार ने यहां नमाज प्रतिबंधित कर इसे शासकीय धरोहर घोषित कर दिया था. साथ ही मुस्लिमों को नमाज अदा करने के लिए एक ईदगाह के नाम से अलग जगह दे दी गई. आज भी इसी जगह पर मुस्लिम लोग नमाज अदा करते हैं. 1991 में तेज बारिश के कारण मंदिर की दीवार ढही, जिसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां निकलने का दावा किया गया. जिसके बाद ASI ने यहां तीन वर्षों तक खुदाई की. हिंदू पक्ष का कहना है कि खुदाई में मंदिर होने के साक्ष्य मिले. जिसमें शिवलिंग, विष्णु भगवान की मूर्ति शामिल थीं. तब से ही ये क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र है. नाग पंचमी पर हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति मिलती रही है.
हिंदू संगठनों ने कलेक्टर से नागपंचमी के दिन बीजामंडल का ताला खोलकर पूजा करने की इजाजत मांगी. लेकिन जिला कलेक्टर ने ASI का हवाला देकर बीजामंडल का ताला खोलने से इनकार कर दिया. दरअसल, आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के दस्तावेज में ये जगह मस्जिद के नाम से दर्ज है. इस पर हिंदू संगठनों ने एतराज जताया है. हिंदू पक्ष का कहना है कि वो पिछले कई सालों से यहां पूजा करते आ रहे हैं. ASI के दावे से भ्रम पैदा हो रहा है. अब इसी को लेकर विवाद हो रहा है.