Coco Islands: कच्चातिवु नहीं, नेहरू ने कोको आइलैंड भी दूसरे देश को सौंपा; जहां आज चीन बना खतरा; BJP नेता का दावा
Coco Island Myanmar: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता बिष्णु पदा रे (Bishnu Pada Ray) ने दावा किया है कि भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने म्यांमार को कोको द्वीप उपहार में सौंप दिया था. आज वही भारत के लिए सिरदर्द बन चुका है. दरअसल ये आइलैंड म्यामांर के समुद्र तट से करीब 300 किलोमीटर दक्षिण दिशा में बंगाल की खाड़ी में स्थित है. आज ये चर्चा क्यों हो रही है, आपको विस्तार से तस्वीरों के जरिए समझाएंगे. उससे पहले संक्षेप में जान लीजिए कि अप्रैल 2023 में ब्रिटिश थिंक टैंक ने इसी कोको आइलैंड को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की थी.
कोको आईलैंड कभी उत्तरी अंडमान द्वीप समूह का हिस्सा था. अंडमान और निकोबार द्वीप (Andaman and Nicobar Islands) समूह से बीजेपी (BJP) के लोकसभा कैंडिडेट 'रे' ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में दावा किया कि कांग्रेस ने शुरुआत से भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया है. कच्चातिवु ही नहीं पहले पीएम नेहरू ने उत्तरी अंडमान द्वीप समूह का हिस्सा रहे कोको द्वीप समूह को बतौर गिफ्ट म्यांमार को सौंप दिया था. ये आइलैंड अब वर्तमान में चीन के सीधे नियंत्रण में है. उन्होंने ये दावा भी किया, 'ऐसे खतरों के बीच केंद्र सरकार ने कैंपबेल बे (इंदिरा पॉइंट) में चीन का मुकाबला करने के लिए एक शिपयार्ड और दो डिफेंस एयरपोर्ट का निर्माण किया है. जब कांग्रेस सत्ता में थी तो उसने द्वीपों के बारे में चिंता नहीं की और आज वहीं से भारत को खतरा है.'
कोको आईलैंड पांच द्वीपों का एक समूह है, जिनमें से चार ग्रेट कोको रीफ पर और एक अन्य द्वीप लिटिल कोको रीफ पर है. 1948 में अंग्रेजों से आजाद होने पर वे आधिकारिक तौर पर म्यांमार का हिस्सा बन गए. हालांकि, ये आईलैंड भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया जब म्यांमार ने इस द्वीप को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को लीज पर दे दिया.
पिछले साल, मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में उत्तरपूर्वी बंगाल की खाड़ी में म्यांमार के कोको द्वीप पर और उसके आसपास नई निर्माण गतिविधि दिखाई दी थीं. वहां कथित तौर पर द्वीपों में सैन्य आधुनिकीकरण देखा गया, जिसे दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के एक हिस्से के रूप में देखा जा सकता है. चीन का वहां मिलिट्री बेस बनाना भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है. पिछले साल अप्रैल में यूके थिंक टैंक ने इस आईलैंड पर चीनी सेना की गतिविधियों का दावा किया था.
कोको आईलैंड का ये मुद्दा तमिलनाडु की सीमा से सटे कच्चातिवु द्वीप पर चल रहे विवाद के बीच उभरा है. क्योंकि पिछले महीने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के बाद यह खुलासा हुआ था कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खुलासे का जिक्र करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी की उस कार्रवाई ने तमिलनाडु के लाखों लोगों को नाराज कर दिया था. अब बीजेपी के कई उम्मीदवार अपने अपनी सोशल मीडिया वाल पर कांग्रेस को घेर रहे हैं. उनका कहना है कि आजादी मिलने के बाद सत्ता में आई कांग्रेस देश को कमजोर कर रही है. बीते 75 सालों में कांग्रेस ने भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करने का काम किया है.
2023 में ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस के खुलासे ने उस वक्त बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में हलचल पैदा कर दी थी कि ग्रेट कोको द्वीपों पर चीन अपनी निगरानी सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ मिलिट्री रनवे और विमान हैंगर बना रहा है. हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से आई उस रिपोर्ट के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों को पहले से भनक थी. तब सरकार ने म्यांमार के सैन्य शाषक जुंटा को चेतावनी देते हुए कहा था कि वहां किसी भी तरह के सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होने पर नतीजे भुगतने होंगे. म्यांमार के जुंटा कहे जाने वाले सैन्य शासक देश में भीषण प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं. तीन विद्रोही ग्रुप का एलायंस जुंटा को एक के बाद एक झटका दे रहा है. एलायंस की ताकत म्यामांर में लगातार बढ़ रही है और कई इलाके जुंटा के हाथ से निकल गए हैं.
म्यांमार के जुंटा शासन को बीते कुछ समय से सशस्त्र विद्रोही लड़ाकों का सामना करना पड़ रहा है. जुंटा इस लड़ाई में लगातार रणनीतिक सीमावर्ती कस्बों और महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों से पर नियंत्रण खो रहा है. जुंटा के हाथ से चीजें तेजी से निकलती जा रही हैं, इससे इतर भारत की चिंता का विषय ये है कि म्यांमार जिस कोको द्वीप को चीन को लीज पर दे चुका है. वो कभी भारत का हिस्सा था.
जब भारत को अंडमान और निकोबार श्रृंखला के अंतिम भारतीय द्वीप से केवल 45 किलोमीटर दूर स्थित ग्रेट कोको द्वीप समूह पर बन रहे नए बुनियादी ढांचे का पता चला तो म्यांमार के सैन्य शासकों से सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने, चीन द्वारा किए जा रहे ऐसे किसी भी तरह के निर्माण की खबरों को खारिज कर दिया. इसके भारत भारत ने खुद वहां जाकर जांच करने की इजाजत मांगी थी, जैसा कि इस सदी की शुरुआत में कोको द्वीप में चीन का राडार लगने की खबरों पर भारत की सेना ने वहां जाकर जांच की थी.
भारत ने अपने पड़ोसी म्यांमार से रिश्ते मजबूत करने के दौरान कई दशक पहले उसकी रक्षा करने और सैन्य जरूरतें पूरी करने का भरोसा दिया था. तब भारत ने उसकी समुद्री सीमा की निगरानी करने के लिए उसे पनडुब्बी देने का फैसला किया था. ऐसी खबरें आने के बाद चीन में खलबली मच गई थी. तब ये बात चीन को बहुत अखरी थी. वो तभी से कोको आइलैंड पर ताक लगाए बैठा था. कई साल पहले भारतीय नौसैनिक पर्यवेक्षकों को म्यांमार का दौरा करने की अनुमति दी गई थी ताकि वे खुद देख सकें कि क्या चीन वाकई कोई सैन्य एक्टिविटी चला रहा है. हालांकि उस समय भारत ने चीनी मंसूबों को नाकाम कर दिया था.
म्यांमार में सैन्य शासन के बाद चीन ने ग्रेट कोको द्वीपों को एक जासूसी अड्डे के रूप में, इस्तेमाल करने के मकसद से अपनी सैन्य चौकी बनाने का मकसद एक बार फिर से पुनर्जीवित किया है. ग्रेट कोको द्वीप समूह पर हाल के घटनाक्रम को निश्चित रूप से म्यांमार के सैन्य अधिग्रहण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. पड़ोसी देश में फरवरी 2021 में हुआ सैन्य तख्तापलट चीन के लिए वरदान बनकर आया. चीनी रक्षा बलों के कमांडर मिन आंग ह्लाइंग द्वारा लोकतंत्र नेता आंग सान सू की को गद्दी से हटाने से चीनी सेना को सैन्य जुंटा पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिली है, हालांकि वहां की जनता चीन से नजतीकी का विरोध कर रही है.