Dhirubhai Ambani: 500 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे, कैसे खड़ा किया अपना साम्राज्य? कहानी धीरूभाई अंबानी की

धीरूभाई अंबानी. एक ऐसा इंडियन बिजनेस टायकुन जिसने अपने बल पर रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापनी की और आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. गैस स्टेशन पर एक अटेंडेंट से लेकर रिलायंस इंडस्ट्री खड़ा करने वाले धीरूभाई अंबानी की आज 22वीं पुण्यतिथि है.

सुदीप कुमार Jul 06, 2024, 06:22 AM IST
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धीरूभाई अंबानी का पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था.  28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ में जन्मे धीरूभाई अंबानी के पिता प्राइमरी स्कूल में टीचर थे. चार संतानों में धीरूभाई तीसरे नंबर पर थे. परिवार बड़ा था लेकिन आय उतनी नहीं थी, इसलिए आर्थिक तंगी हमेशा सताती थी.

घर की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए धीरूभाई सिर्फ 16 साल की उम्र में कमाने निकल पड़े. सन 1948 में अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद से यमन के एडेन शहर पहुंच गए. यहां उन्होंने एक कंपनी में 300 रुपये प्रति महीने की सैलरी पर काम किया. यमन में ही उन्होंने अरब मर्चेंट में भी नौकरी की.

 

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यमन में धीरूभाई पेट्रोल पंप पर काम करते थे. कंपनी ने उनके काम को देखते हुए उन्हें मैनेजर बना दिया. लेकिन 1954 में धीरूभाई भारत आ गए. साल 1955 में सिर्फ 500 रुपये जेब में लेकर किस्मत आजमाने मुंबई पहुंच गए. यहीं से शुरू होती है धीरूभाई अंबानी की बिजनेस जर्नी.

मुंबई पहुंचकर धीरूभाई ने भारतीय बाजार को समझा. उन्होंने यह महसूस किया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है. वहीं, विदेशों में भारतीय मसालों की मांग काफी अधिक है. उन्होंने अपना करोबार शुरू करने का सोचा. किराए के मकान से उन्होंने बिजनेस शुरू किया. 1958 में धीरूभाई ने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी की स्थापना की. इस कंपनी के जरिए उन्होंने पश्चिमी देशों में उन्होंने अदरक, हल्दी, इलायची, कपड़ों के अलावा कई चीजों का निर्यात किया.

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धीरूभाई की कारोबारी बुद्धि काम आई और उनका व्यापार चल पड़ा. यहां से धीरूभाई ने कभी पलटकर नहीं देखा. देखते ही देखते धीरूभाई करोड़पति बन गए. एक के बाद एक कंपनी की स्थापना की. साल 2000 में धीरूभाई देश के सबसे अमीर आदमी बन गए. धीरूभाई ने 1958 में  जब रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की शुरुआत की तो उस वक्त 350 वर्ग फुट के ऑफिस में एक मेज, तीन कुर्सी और दो सहयोगी थे. 

1998 में धीरूभाई अंबानी एशिया वीक पत्रिका द्वारा "पावर 50: एशिया के सबसे शक्तिशाली लोगों" की सूची में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय उद्योगपति बन गए. भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए 2000 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से व्हार्टन स्कूल डीन का मेडल प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने. 2001 में रिलायंस इंडस्ट्रीज फोर्ब्स इंटरनेशनल 500 कंपनियों की सूची में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई.

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धीरूभाई अंबानी ने साल 1955 में कोकिलाबेन से शादी की थी. रिलायंस इंडस्ट्रीज की सफलता के पीछे जहां धीरूभाई अंबानी का हाथ था. वहीं, कोकिलाबेन उनके हर उतार-चढ़ाव में साथ दिया.

धीरूभाई अंबानी की चांर संतानें हुईं- मुकेश (1957), अनिल (1959), दीप्ति (1961) और नीना (1962). 4 जून 2022 को धीरूभाई को दूसरी बार दिल का दौरा पड़ा. उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन वह सर्वाइव नहीं कर सके. 6 जुलाई 2022 को 69 साल की उम्र में धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया. 

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धीरूभाई अंबानी के निधन के सिर्फ 2 साल के भीतर मुकेश और अनिल अंबानी का झगड़ा सामने आने लगा. दोनों भाइयों के बीच की दीवार इतनी बड़ी हो गई कि धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन ने बिजनेस का बंटवारा कर दिया. जून 2005 में दोनों भाइयों के बीच बंटवारा हुआ. दोनों भाइयों के बीच यह बंटवारा 2006 तक चला. इस बंटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत ने अमह भूमिका निभाई थी.

 

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