Gaya Pind Daan : जहां विदेशी मैम भी आती हैं पितरों का पिंडदान करने, उस गया की महिमा जानते हैं आप
Gaya Pind Daan: भारत में पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया जी में पिंडदान करने की परंपरा सदियों पुरानी है. वहीं अब बड़ी संख्या में विदेशी लोग भी अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गया पहुंच रहे हें. इसमें युद्धग्रस्त रूस-यूक्रेन से आए नागरिक भी शामिल हैं.
Pind Daan in Gaya Ji : इस समय गया जी में पितृ पक्ष मेला चल रहा है और देश ही नहीं दुनिया के कई देशों से श्रद्धालु अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पिंडदान करने गया पहुंच रहे हैं. इसमें नाइजीरिया, रूस, यूक्रेन, घाना समेत कई देशों की महिलाएं भी शामिल हैं.
युद्धग्रस्त देशों से भी आईं हैं महिलाएं
पिंडदान करने वालों में रूस, युक्रेन जैसे युद्धग्रस्त देशों की महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने पति, माता-पिता, संतान आदि का पिंडदान करने गया आई हैं. वे पुराहितों के निर्देशन में सनातनी परंपरा के तहत पूरे विधि-विधान से अपने मृत परिजनों का पिंडदान कर रही हैं.
स्वीकार कर लिया सनातन धर्म
मीडिया से बातचीत में इन विदेशी नागरिकों ने कहा कि हमने अब सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है और अब अपने पूर्वजों का पिंडदान कर रहे हैं. हम समझ गए हैं कि पितरों का उद्धार हो गया तो अपना उद्धार भी हो जाएगा. इसी के चलते बीते कुछ सालों से अपने पूर्वजों के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करने के लिए गया जी आ रहे हैं, ताकि उनकी आत्मा जहां कहीं भी शांति से रह सके.
Gaya, Bihar: During the Pitru Paksha Mela 2024 in Gaya, around 15 foreign pilgrims from countries like South Africa, Germany, Kazakhstan, Russia and Nigeria performed Pind Daan rituals at Devghat, seeking salvation for their ancestors. pic.twitter.com/hOSHJlf0Fs
— IANS (@ians_india) September 30, 2024
गया जी में पिंडदान का महत्व
मान्यता है कि गया धाम में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों तक का उद्धार होता है और व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नामक असुर ने भगवान विष्णु से वरदान प्राप्त किया था कि उसके शरीर पर यज्ञ करने से पितरों को मुक्ति मिलेगी. तब से यह स्थान पिंडदान और तर्पण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है, उसे गया जाकर पिंडदान अवश्य करना चाहिए.
पितरों का मिलता है आशीर्वाद
धर्म-शास्त्रों के अनुसार पितर उन लोगों से बहुत प्रसन्न रहते हैं और आशीर्वाद देते हैं जो जीवन भर माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं, उनकी सेवा करते हैं, निधन के बाद श्राद्ध में खूब भोजन कराते हैं और गया तीर्थ में जाकर पितरों का पिण्डदान करते हैं.