सोने की टंग क्लिनर, 1000 साड़ी... किसी ने भी नहीं सुना होगा भारत की इस महारानी का किस्सा

Indian Queen Sita Devi: महारानी सीता देवी का जन्म बड़ौदा में 1917 में हुआ था और वह अपने समय में काफी एडवांस महिला थीं. उनकी पहली शादी एम.आर. अप्पा राव बहादुर से हुई थी, जो एक अमीर जमींदार थे. इस शादी से सीता देवी को एक बेटा भी हुआ. उनकी जिंदगी में 1943 में एक बड़ा बदलाव आया, जब उनकी मुलाकात मद्रास हॉर्स रेस में बड़ौदा के महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ से हुई. उस वक्त, महाराजा दुनिया के आठवें सबसे अमीर आदमी थे.

अल्केश कुशवाहा Thu, 13 Jun 2024-12:02 pm,
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पहली शादी तोड़कर दूसरी शादी की

सीता देवी बड़ौदा के महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ से इतना मोहित हो गईं कि वो उनसे शादी करना चाहती थीं, हालांकि उनकी पहले से ही एम.आर. अप्पा राव बहादुर से शादी हो चुकी थी. महाराजा की सलाहकार टीम ने बताया कि अगर सीता देवी इस्लाम धर्म अपना लेती हैं तो वो अपने पहले पति को तलाक दे सकती हैं. सीता देवी ने ऐसा ही किया और फिर वापस हिंदू धर्म अपनाकर उन्होंने महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ से शादी कर ली. शादी के बाद ये जोड़ा मोंटे कारलो रहने चला गया, जहां सीता देवी हाई सोसाइटी के लोगों से मिलने-जुलने लगीं.

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फिजूलखर्ची के लिए जानी जाती थीं महारानी

सीता देवी अपनी फिजूलखर्ची के लिए जानी जाती थीं. महाराजा और वो दोनों मिलकर बहुत शानदार शॉपिंग करते थे. वो दो बार अमेरिका भी घूमने गईं, जहां उन्होंने लगभग 83 करोड़ रुपये खर्च कर डाले. सफर के दौरान सीता देवी अक्सर अपने साथ एक हजार साड़ियां ले जाती थीं, जिनके साथ हर साड़ी के लिए अलग-अलग जूते भी होते थे. उनके पास गहनों का भी बहुत ही शानदार कलेक्शन था.

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हीरे-मोती का खजाना हुआ करता था

क्रिस्टीज न्यू यॉर्क आर्ट एंड लग्जरी बिजनेस ने बताया है कि महाराजा से शादी के बाद सीता देवी को बड़ौदा राजकोष से मिले गहनों में से कुछ मुगलकालीन थे. इनमें से एक सात-रंग का मोती का हार और तीन-लाइनों वाले हीरे का हार था, जिसमें 'द स्टार ऑफ द साउथ' और 'इंग्लिश ड्रेस्डेन' हीरे जड़े हुए थे. हालांकि उनके बाद में कई गहने मोनाको में बेच दिए गए, लेकिन सात-रंग का मोती का हार अब भी बड़ौदा राजकोष में ही सुरक्षित है.

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गोल्ड टंग क्लीनर और रूबी वाली सिगरेट होल्डर

1953 में सीता देवी ने कार्टियर लंदन से एक नेचुरल मोती और हीरे का कंगन बनवाया और वैन क्लीफ एंड अर्पेल्स से इसी तरह की बालियां बनवाईं. उन्होंने वैन क्लीफ एंड अर्पेल्स से एक कस्टमाइज्ड गोल्ड टंग क्लीनर और रूबी-जड़ित सिगरेट होल्डर भी बनवाया. सीता देवी के आभूषणों में हीरे और पन्ने की एक जोड़ी पायल भी थी, जिन्हें उन्होंने जौहरी हैरी विंस्टन को बेच दी थीं.

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महाराजा ने भी आखिर मं दे दिया तलाक

विंस्टन ने उन जवाहिरात को फिर से गले का हार बना दिया, जिसे विंडसर की डचेस वालिस सिम्पसन ने खरीदा था. सीता देवी, जिन्हें अक्सर "भारत की वालिस सिम्पसन" कहा जाता था. 1969 के एस्कॉट गोल्ड कप में, सीता देवी ने अपने दाहिने हाथ में 30 कैरेट की नीलम की अंगूठी पहनी थी और उन्होंने मेहमानों को इसे छूने के लिए आमंत्रित भी किया था. जल्द ही उनकी फिजूलखर्ची की आदत की वजह से महाराजा परेशानी में आ गए क्योंकि उन्हें बिना ब्याज का बहुत बड़ा कर्ज लेना पड़ा. इससे उनके रिश्ते पर असर पड़ा और आखिरकार उनका तलाक हो गया.

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