Google vs Meta: कौन सी कंपनी है कर्मचारियों के लिए सबसे बेहतर? अंदर काम करने वाले ने खुलकर बताया

Google vs Meta: कभी सोचा है कि गूगल और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा में काम करना कैसा होगा? एक कर्मचारी, जिसने दोनों कंपनियों में काम किया है, उसने अपने अनुभवों को ब्लॉग के जरिए बताया है. दोनों कंपनियां एक जैसे क्षेत्र में काम करती हैं, ऑनलाइन विज्ञापन बेचती हैं और आम लोगों के इस्तेमाल के लिए कई सारे प्रोडक्ट बनाती हैं. लेकिन, इस कर्मचारी ने इन दोनों बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियों के काम करने के माहौल और मैनेजमेंट स्टाइल के अंतरों को बताया है.

मोहित चतुर्वेदी Tue, 07 May 2024-10:03 am,
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Meta में काम करने का तरीका

मेटा कंपनी को तेजी से बदलने वाले माहौल के रूप में बताया गया है, जहां नयेपन को बढ़ावा दिया जाता है और नए आइडियाज को जल्दी अपनाया जाता है. लेकिन इस तेजी से बदलते माहौल की वजह से कर्मचारियों पर थोड़ा तनाव और दबाव भी रहता है क्योंकि उन पर उम्मीदों पर खरा उतरने और अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहता है.

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गूगल नहीं करता जल्दी बदलाव

दूसरी तरफ, गूगल को एक ज्यादा स्थिर माहौल के रूप में बताया गया है, जहां प्रोजेक्ट लंबे समय तक चल सकते हैं और जल्दी बदलने का दबाव नहीं होता है. हालांकि इससे कर्मचारियों को सुरक्षा और काम के साथ निजी जिंदगी का संतुलन बनाने में मदद मिलती है, लेकिन हो सकता है इससे नई चीजें लाने की रफ्तार और जोखिम लेने की आदत कम हो जाए.

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ट्रांसपेरेंसी किसमें ज्यादा?

पारदर्शिता एक और चीज थी जिसमें दोनों कंपनियां अलग थीं. मेटा को एक ऐसी कंपनी बताया गया है जहां पारदर्शिता ज्यादा है, यानी वहां खुलकर जानकारी बताई जाती है और कर्मचारियों को उनके काम के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है. दूसरी तरफ, गूगल को थोड़ा गुप्त बताया गया है, जहां जरूरी जानकारी अक्सर ईमेल और चैट के जरिए दी जाती है, जिससे कर्मचारियों के लिए कंपनी में हो रहे बदलावों के बारे में जानकारी रखना मुश्किल हो जाता है.

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कहां रख सकते हैं खुलकर राय

दोनों कंपनियों में खुलकर राय देने और असहमत होने के माहौल में भी फर्क है. मेटा को सच्चाई जानने वाली कंपनी बताया गया है, जहां असहमति जताने को बढ़ावा दिया जाता है. इससे खुलापन तो आता है, लेकिन शांत रहने वाले लोगों को थोड़ी असहजता भी हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ, गूगल को एक शांत माहौल वाली कंपनी बताया गया है, जहां कर्मचारी टकराव से बचते हैं. इससे एक सहयोगी माहौल तो बनता है, लेकिन हो सकता है नई चीजें सीखने और आगे बढ़ने की रफ्तार कम हो जाए.

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कहां मिलती है जल्दी तरक्की

लीडरशिप स्टाइल और तरक्की के रास्तों में भी अंतर बताया गया है. मेटा को ऐसी कंपनी बताया गया है जहां योग्यता के आधार पर जल्दी तरक्की मिलती है, खासकर युवा कर्मचारियों को आगे बढ़ने के ज्यादा मौके मिलते हैं. वहीं दूसरी तरफ, गूगल को तरक्की के लिए ज्यादा समय लेने वाली कंपनी बताया गया है, वहां अक्सर "पहले आओ, पहले पाओ" के हिसाब से तरक्की दी जाती है, जिससे करियर की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है.

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कौन सी कंपनी है कर्मचारियों के लिए सबसे बेहतर?

इन सब बातों को मिलाकर देखें तो, भले ही मेटा और गूगल दोनों कंपनियां तरक्की करने और नई चीजें सीखने के मौके देती हैं, असल में यह चुनाव आपकी पसंद पर निर्भर करता है कि आप काम के साथ निजी जिंदगी का संतुलन, तरक्की करने का तरीका और कंपनी का माहौल कैसा चाहते हैं.

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