Diamond: किन जगहों पर तलाशने पर आपको मिल सकते हैं `हीरे`, आखिरकार पता चला!
Diamonds: ‘हीरा है सदा के लिए’. 1940 के दशक में बेहद कामयाब रहे एक विज्ञापन के लिए लिखे गए ये शब्द `हीरे` की अहमियत और एकता के प्रतीक के रूप में आज भी सटीक बैठते हैं. हीरों की तलाश में लोग दूर-दूर की खाक छानते हैं. इस बीच एक रिसर्च में कहा गया है कि हीरे खुद संकेत देते हैं कि वो कहा छिपे हैं?
क्या आप जानते हैं कि प्राकतिक रूप से हीरा कैसे बनता है? प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सबसे कठोर पत्थर होने के कारण हीरे को बनने के लिए तीव्र दबाव और तापमान की आवश्यकता होती है. ये स्थितियां केवल पृथ्वी के भीतर ही प्राप्त होती हैं. तो वे पृथ्वी के भीतर से सतह तक कैसे पहुंचते हैं?
हीरे पिघली हुई चट्टानों या मैग्मा में होते हैं, जिन्हें किम्बरलाइट्स कहा जाता है. अब तक, हम यह नहीं जानते थे कि किस प्रक्रिया के कारण किम्बरलाइट्स लाखों या यहां तक कि अरबों वर्षों तक महाद्वीपों के नीचे छिपे रहने के बाद अचानक पृथ्वी की परत से कैसे निकल आते हैं.
अधिकांश भूविज्ञानी इस बात से सहमत हैं कि जिन विस्फोटकों के बाद हीरे निकलते हैं उनका तालमेल सुपरकॉन्टिनेंट चक्र के साथ होता है: भूमि निर्माण और विखंडन का एक आवर्ती पैटर्न जिसने पृथ्वी के अरबों वर्षों के इतिहास को परिभाषित किया है.
हालांकि, इस रिश्ते के अंतर्निहित सटीक तंत्र पर बहस चल रही है. जिसके 2 मुख्य सिद्धांत सामने आये हैं.
एक थ्योरी के मुताबिक किम्बरलाइट मैग्मा उन ‘घावों’ की वजह से बनते हैं जो पृथ्वी की पपड़ी खिंचने से बनते हैं या जब पृथ्वी को ढकने वाली ठोस चट्टान के स्लैब - जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स के रूप में जाना जाता है वो विभाजित हो जाते हैं. दूसरे सिद्धांत में मेंटल प्लम्स, पृथ्वी की सतह से लगभग 2900 किमी नीचे स्थित पिघली हुई चट्टान की कोर-मेंटल दीवार में विशाल उभार आता है.
हालांकि, दोनों विचारों के साथ अपनी समस्याएं हैं. सबसे पहले, टेक्टोनिक प्लेट का मुख्य भाग, जिसे लिथोस्फीयर के रूप में जाना जाता है, अविश्वसनीय रूप से मजबूत और स्थिर है. इसे भेदना मुश्किल है, जिससे मैग्मा बाहर निकल आए. इसके अलावा, कई किम्बरलाइट्स उन रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रदर्शित नहीं करते हैं जिनकी हम मेंटल प्लम्स से प्राप्त चट्टानों में अपेक्षा करते हैं.
इसके विपरीत, किम्बरलाइट निर्माण में मेंटल रॉक पिघलने की अत्यधिक कम डिग्री शामिल होती है, जो अक्सर 1 प्रतिशत से भी कम होती है. इसलिए, एक और तंत्र की जरूरत है. हमारा अध्ययन इस दीर्घकालिक पहेली का संभावित समाधान प्रस्तुत करता है.
हीरे पिघली हुई चट्टानों या मैग्मा में होते हैं, जिन्हें किम्बरलाइट्स कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने यह पाया कि महाद्वीपीय विघटन और किम्बरलाइट ज्वालामुखी के बीच संबंध की फोरेंसिक जांच करने के लिए AI की मदद से सांख्यिकीय विश्लेषण किया. वैश्विक स्टडी के नतीजों से पता चला है कि अधिकांश किम्बरलाइट ज्वालामुखियों का विस्फोट पृथ्वी के महाद्वीपों के विवर्तनिक विखंडन के दो से तीन करोड़ साल बाद हुआ.
हीरे को सतह पर लाने वाले विस्फोटों को शुरू करने वाली प्रक्रियाएं महाद्वीपों के किनारों से शुरू होकर आंतरिक भाग की ओर बढती हैं. इस जानकारी का इस्तेमाल इस प्रॉसेस से जुड़े पिछले ज्वालामुखी विस्फोटों के संभावित स्थानों और समय की पहचान करने के लिए किया जा सकता है, जो इस संबंध में जानकारी दे सकता है कि हीरे के भंडार और अन्य दुर्लभ तत्वों की खोज कहां की जानी चाहिए. हीरे हमेशा के लिए हो भी सकते हैं और नहीं भी, लेकिन रिसर्च ये पता चलता है कि हमारे ग्रह के इतिहास में लंबे समय तक नए हीरे बार-बार बनाए गए हैं.