Indian Railways: लाल-नीली-पीली-हरी ट्रेन में क्‍या फर्क? कौन सी ज्‍यादा सेफ और क‍िसकी रफ्तार बुलेट की तरह

Indian Railways Coach Colours: भारतीय रेलवे का दुन‍ियाभर में चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. यह देश के करोड़ों लोगों की लाइफलाइन है. आरामदायक और क‍िफायती सफर के कारण लोग आज भी लंबी दूरी की यात्रा ट्रेन के जर‍िये ही करना चाहते हैं. लेक‍िन आपने ट्रेन से सफर के दौरान अक्‍सर देखा होगा क‍ि कोच का अलग-अलग रंग होता है. लेक‍िन क्‍या आपने सोचा है क‍ि इन कोच का अलग-अलग रंग क्‍यों होता है. पैसेंजर ट्रेन से लेकर सुपरफास्‍ट तक का रंग अलग-अलग होता है. ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों को भी इस बारे में जानकारी नहीं होती. आइए हम इनके बारे में व‍िस्‍तार से जानते हैं.

क्रियांशु सारस्वत Tue, 03 Sep 2024-11:50 am,
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आपको बता दें ट्रेन के नीले रंग वाले कोच को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) कहते हैं. गहने लाल रंग वाले कोच को लिंक हॉफमैन बुश (LHB) कहा जाता है. हरे रंग के कोच इन दोनों से अलग होते हैं. कई बार ट्रेन में हल्‍के पीले रंग के कोच भी देखने को म‍िलते हैं. हालांकि इस तरह के कोच कम ही देखने को म‍िलते हैं.

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लाल रंग की बोगी को लिंक हॉफमैन (Link Hoffmann) भी कहते हैं. इन खास तरह के कोच को जर्मनी में तैयार क‍िया जाता है. भारतीय रेलवे की तरफ से साल 2000 में इस तरह के कोच को आयात क‍िया गया था. अब इन कोच को पंजाब के कपूरथला में तैयार क‍िया जाता है. लाल रंग के कोच को एल्‍युम‍िनियम से तैयार क‍िया जाता है. वजन में हल्‍का होने के कारण इन्‍हें अक्‍सर सुपर फास्‍ट ट्रेन राजधानी और शताब्‍दी आद‍ि में लगाया जाता है. इनमें डिस्‍क ब्रेक लगे होते हैं.

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ट्रेनों में सबसे ज्‍यादा नीले रंग के कोच देखने को म‍िलते हैं. ज‍िन ट्रेनों में इन कोच को लगाया जाता है उनकी रफ्तार अमूमन 70 से 140 क‍िमी प्रत‍ि घंटा के बीच रहती है. लोहे से बने इन कोच में एयरब्रेक होते हैं. यही कारण है क‍ि इनका इस्‍तेमाल एक्‍सप्रेस या सुपरफास्‍ट ट्रेन में क‍िया जाता है. नीले रंग वाले वाले कोच आईसीएफ (ICF) को सबसे पहले 1952 में तैयार क‍िया गया था. इन्‍हें तमिलनाडु के चेन्‍नई में तैयार क‍िया जाता है.

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गरीब रथ के अलावा कुछ और ट्रेनों में हरे रंग के कोच देखने को म‍िलते हैं. इस तरह के कोच का इस्‍तेमाल भी तेज रफ्तार वाली ट्रेनों में क‍िया जाता है. हरे रंग के कोच पर अलग-अलग तरह की चित्रकारी भी की जाती है. इसके अलावा हरे रंग के कोच का इस्‍तेमाल छोटी रेलवे लाइन पर चलने वाली मीटर गेज ट्रेनों में भी किया जाता है.

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कुछ ट्रेनों में पीले रंग के कोच भी लगे रहते हैं. पीले रंग के कोच अमूमन छोटी दूरी की ट्रेनों में लगे होते हैं. इन कोच में ओपन व‍िंडो होती हैं और ये अक्‍सर पैसेंजर ट्रेन होती हैं. कई बार पीले रंग का कोच शारीर‍िक रूप से द‍िव्‍यांग यात्र‍ियों के ल‍िये भी लगाया जाता है. कोव‍िड के दौरान आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इस तरह के कोच चलाए गए थे.

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क‍िसी भी हादसा होने की स्‍थ‍िति में ICF कोच एक-दूसरे पर चढ़ जाते हैं. इसकी कारण यह है क‍ि इसमें डुअल बफर होता है. इसके अलावा LHB कोच हादसे के दौरान एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते. इसका कारण यह है क‍ि इसमें सेंटर बफर कॉलिंग (Center Buffer Couling) सिस्टम होता है. इस कोच के हादसे में जान-माल का नुकसान कम होता है.

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