भारत की पहली एयर ट्रेन चलने की आ गई तारीख, फ्री में कर सकेंगे सफर; 2000 करोड़ खर्च कर रही सरकार
ट्रेन और एयरप्लेन के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपने एयर ट्रेन के बारे सुना है? अब कुछ ही सालों में भारत को पहली एयर ट्रेन मिलने जा रही है. एयर ट्रेन जिसे अक्सर दुनिया भर के कई हवाई अड्डों पर स्काई ट्रेन के रूप में जाना जाता है.
भारत की पहली एयर ट्रेन एक स्वचालित प्रणाली पर आधारित होगी जिसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर टर्मिनलों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह टर्मिनल 2/3 और 1 को जोड़ने वाला 7.7 किमी लंबा स्वचालित पीपल मूवर होगा.
एयर ट्रेन जिसे अक्सर दुनिया भर के कई हवाई अड्डों पर स्काई ट्रेन के रूप में जाना जाता है. यह ट्रेनएक स्वचालित पीपल मूवर (एपीएम) प्रणाली की मदद से चलती है. इसका मुख्य उद्देश्य एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल तक यात्रियों के आवागमन को आसान करना है, जिससे उन्हें लगने वाले समय में काफी कमी आती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की पहली एयर ट्रेन साल 2028 तक दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एलिवेटेड टैक्सीवे पर चलने वाले विमानों के नीचे से एक हवाई ट्रेन गुजरेगी. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने 7.7 किमी ऑटोमेटेड पीपल मूवर (APM) के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया है.
एयर ट्रेन मुख्य रूप से एलिवेटेड होगी, इसका रुट 5.7 किमी ऊंचा और 2 किमी सतही स्तर पर होगा. सतही स्तर के खंड टर्मिनल 1 से पहले और एलिवेटेड टैक्सीवे के नीचे होंगे. एयर ट्रेन को कार्गो टर्मिनल से जोड़ने के लिए कार्गो स्टेशन पर स्काईवॉक की योजना बनाई गई है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, एयर ट्रेन टर्मिनलों के बीच आने-जाने वाले सभी यात्रियों के लिए निःशुल्क उपलब्ध होगी, क्योंकि एयर ट्रेनें अन्य देशों में भी यात्रियों के निःशुल्क हैं.
अनुमान है कि एयर ट्रेन परियोजना की लागत 1,500-1,600 करोड़ रुपये तक हो सकती है. प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान विमानन मंत्रालय ने परियोजना के फंड के लिए यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क लेने की अनुमति नहीं दी थी और एयरपोर्ट ऑपरेट करने वाली कंपनी को पहले इसे बनाने और फिर लागत वसूलने की सलाह दी.