क्या अभी भी याद हैं आपको ओम पुरी के ये आइकॉनिक रोल, जिन्हें आज भी भूल पाना है मुश्किल
Om Puri Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में गिने जाने वाले ओम पुरी बॉलीवुड के सबसे टैलेंटेड एक्टर्स में से एक थे. उनकी शानदार एक्टिंग और अलग-अलग किरदारों की वजह से लोग उन्हें आज भी याद करते हैं. ओम पुरी ने अपनी दमदार आवाज और गहरी आंखों से हर रोल में जान डाल दी. उन्होंने विलेन से लेकर कॉमेडी तक हर तरह की भूमिका में अपनी पहचान बनाई. उनका बचपन मुश्किलों से भरा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाई.
ओम पुरी का फिल्मी करियर
हिंदी सिनेमा के दिवंगत दिग्गज एक्टर ओम पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कन्नड़ सिनेमा से की थी. उनकी पहली फिल्म 1975 नें रिलीज हुई 'कल्ला कल्ला बचितको' थी. इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में 'अर्ध सत्य', 'आक्रोश' और 'जाने भी दो यारों' जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता और उनके बीच अपनी पहचान बनाई. उनके अभिनय का हर कोई दीवाना था और आज भी उनकी फिल्मों के साथ-साथ उनके आइकॉनिक किरदार को पसंद किया जाता है.
आक्रोश (1980)
गोविंद निहलानी की इस आर्टहाउस फिल्म को दर्शकों और क्रिटिक्स से काफी तारीफ मिली था. ये एक कानूनी ड्रामा फिल्म है, जिसमें ओम पुरी ने एक अछूत का किरदार निभाया है. फिल्म की कहानी में दिखाया गया है कि उनके ऊपर अपनी ही पत्नी की हत्या का आरोप लगाया जाता है. ये फिल्म सामाजिक भेदभाव और न्याय व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है. इसकी सादगी और गहरी कहानी ने लोगों के दिलों को छू लिया, जिससे ये फिल्म कला और सिनेमा के क्षेत्र में एक अहम योगदान मानी जाती है.
आरोहन (1982)
'आरोहन' में ओम पुरी ने एक गरीब और परेशान किसान का रोल निभाया है, जिसके संघर्ष ने उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. कहानी में वो किसान अपनी जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए 14 साल तक अमीर जमींदार (विक्टर बनर्जी) से लड़ता है. ये जमीन उस किसान की मेहनत की कमाई थी, लेकिन जमींदार ने उसे हड़प लिया. ओम पुरी ने अपने अभिनय से उस किसान की तकलीफ, उसकी हिम्मत और उसके इंसाफ की लड़ाई को इतने असरदार तरीके से दिखाया कि ये किरदार हमेशा यादगार बन गया.
चाची 420 (1997)
फिल्म 'जाने भी दो यारों' में कॉमेडी का जलवा दिखाने के बाद, उन्होंने कमल हासन की ऑल टाइम बेस्ट कॉमेडी फिल्म 'चाची 420' में एक ऐसा ही किरदार निभाया था, जिसने उनकी शानदार कॉमिक टाइमिंग को सबके सामने लाया. इस फिल्म में उन्होंने अमरीश पुरी के पीए का रोल निभाया था, जो हर वक्त चाची की हरकतों पर शक करता रहता है. उनका ये अंदाज दर्शकों को खूब पसंद आया और उन्होंने अपनी मजेदार अदाकारी से सबको खूब हंसाया. इस फिल्म ने उन्हें एक बेहतरीन कॉमेडियन के रूप में पहचान दिलाई.
ईस्ट इज ईस्ट (1999)
ओम पुरी उन गिने-चुने बॉलीवुड कलाकारों में से थे, जिन्होंने 'सिटी ऑफ जॉय' जैसी फिल्मों के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई. लेकिन असली पहचान उन्हें तब मिली जब उन्होंने ब्रिटिश फिल्म 'ईस्ट इज ईस्ट' में एक अहम भूमिका निभाई. इस फिल्म में उन्होंने एक पाकिस्तानी पिता का किरदार निभाया, जो विदेशी जमीन पर अपने बच्चों को पालने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने की चुनौतियों से जूझता है. उनकी इस दमदार अदाकारी के लिए उन्हें बाफ्टा अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन भी मिला.
जाने भी दो यारों (1983)
फिल्म 'जाने भी दो यारों' अपने दौर की एक शानदार फिल्मों में से एक है. फिल्म में एक महाभारत वाला सीन आता है, जो इतना मजेदार है कि इसे देखते हुए हंसी रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. ओम पुरी, जो अक्सर गंभीर भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, ने इस फिल्म में अपने अभिनय से सभी को हैरान कर दिया था. उन्होंने बिल्डर आहूजा का किरदार निभाया था, जो लोगों को खूब हंसाता है. कुंदन शाह के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म आज भी उनकी सबसे यादगार और बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है.
मिर्च मसाला (1987)
केतन मेहता की इस फिल्म में ओम पुरी ने एक बुजुर्ग मुस्लिम दरबान का किरदार निभाया है, जो कहानी में एक अहम भूमिका निभाता है. उनका किरदार एक नेकदिल और दयालु इंसान का होता है, जो सोनाभाई (स्मिता पाटिल) की मुश्किल हालात में मदद करता है. ये दरबान अपनी उम्र और अनुभव से न केवल सोनाभाई का सहारा बनता है, बल्कि कहानी को भी एक गहरी संवेदनशीलता देता है. आज भी उनकी यादगार फिल्मों और किरदारों में इस फिल्म को रोल की गिनती होती है.