ब्रह्मांडीय धूल से मिला किक-स्टार्ट तो पृथ्वी पर हुई जीवन की शुरुआत! नई रिसर्च में चौंकाने वाले सबूत
Science News: पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई? यह लंबे समय से रहस्य बना हुआ है. कई सिद्धांत बताते हैं कि जीवन `प्रीबायोटिक केमिस्ट्री` से शुरू हुआ. जिसमें कार्बनिक यौगिक बनते रहे और बार-बार खुद संगठित होते रहे, जब तक कि जीवन जैसा कि हम जानते हैं, विकसित नहीं हो गया. लेकिन धरती की सतह को बनाने वाली चट्टानों में इस प्रीबायोटिक प्रक्रिया के लिए जरूरी तत्वों, जैसे फास्फोरस, सल्फर, नाइट्रोजन और कार्बन, के प्रतिक्रियाशील और घुलनशील रूपों की अपेक्षाकृत कमी है. एक नई रिसर्च बताती है कि शायद ब्रह्मांडीय धूल ने पृथ्वी पर जीवन को शुरू करने में मदद की हो.
पृथ्वी पर जीवन का विकास कैसे हुआ होगा?
'नेचर एस्ट्रोनॉमी' जर्नल में छपे रिसर्च पेपर में वैज्ञानिकों ने कहा कि पृथ्वी पर जीवन इन तत्वों के सीमित भंडार के लिए 'भयंकर प्रतिस्पर्धा' में लगा हुआ है. फिर ऐसी परिस्थितियों में जीवन का विकास कैसे हुआ होगा? इस बारे में प्रचलित सिद्धांत यह कहता है कि जीवन के लिए जरूरी तत्व पृथ्वी पर कहीं और से आए होंगे. लेकिन यह अब भी साफ नहीं नहीं है कि ये तत्व बिना नष्ट हुए हमारे ग्रह की सतह तक कैसे पहुंचे.
ब्रह्मांडीय धूल में छिपा है जीवन का रहस्य!
'नेचर एस्ट्रोनॉमी' वाली स्टडी में, वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवा बारीक कणों वाली 'कॉस्मिक धूल' में खोजने की कोशिश की. यह दानेदार पदार्थ अंतरिक्ष में एस्टेरॉयड्स (क्षुद्रग्रहों) की टक्करों या कॉमेट्स (धूमकेतुओं) के वाष्पीकरण और विघटन से उत्पन्न होता है, जब वे सौरमंडल में घूमते हैं.
रिसर्चर्स ने कहा, 'बड़ी वस्तुओं के उलट, पृथ्वी पर ब्रह्मांडीय धूल का प्रवाह वार्षिक समय-सीमा पर अनिवार्य रूप से स्थिर है. इसके अलावा, ब्रह्मांडीय धूल के कणों का कुछ अंश पृथ्वी के वायुमंडल से अपेक्षाकृत धीरे-धीरे गुजरता है, जिससे आदिम तत्वों का एक बड़ा अंश बरकरार रहता है.
पृथ्वी पर संभव हैं ब्रह्मांडीय धूल का जमाव!
रिसर्च टीम के मुताबिक, एक संभावित डिलीवरी मैकेनिज्म होने के बावजूद, इस मैटेरियल को प्रीबायोटिक सिद्धांतों में शायद ही कभी माना जाता है क्योंकि यह एक बड़े क्षेत्र में फैलता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि सामान्य तलछटी प्रक्रियाओं के माध्यम से आज पृथ्वी पर केंद्रित ब्रह्मांडीय-धूल जमा होती है. टीम ने कहा, 'ऐसी कई ग्रहीय प्रक्रियाएं हैं जो बड़े सतह क्षेत्रों से बारीक-बारीक पदार्थों को इकट्ठा करके केंद्रित जमा बना सकती हैं.'
शुरुआत में पृथ्वी पर अधिक थी ब्रह्मांडीय धूल की मात्रा
एस्ट्रोफिजिकल सिमुलेशन और भूवैज्ञानिक मॉडल का इस्तेमाल करते हुए, टीम ने ब्रह्मांडीय धूल के प्रवाह और संरचना को मापने की कोशिश की. इन मॉडलों में कॉमेट्स और एस्टेरॉयड्स की जुपिटर फैमिली की धूल को भी शामिल किया गया. पृथ्वी पर वर्तमान समय में होने वाले संचयन के अनुमानों के साथ नतीजों की तुलना करने पर, टीम ने पाया कि शुरुआत पृथ्वी पर ब्रह्मांडीय धूल का कुल संचयन आज देखे गए संचयन से 100 से 10,000 गुना अधिक रहा होगा.
क्या बताते हैं नई रिसर्च के नतीजे?
टीम ने पाया कि मॉडल द्वारा बताई गई उच्चतम दरों पर भी ब्रह्मांडीय धूल गहरे समुद्र के तलछट का एक छोटा सा हिस्सा है. हालांकि, रेगिस्तान और हिमनद क्षेत्रों में, ब्रह्मांडीय धूल तलछट का 50% से अधिक हिस्सा बना सकती है. धूल की सबसे अधिक सांद्रता, 80% से अधिक, उन क्षेत्रों में होगी जहां ग्लेशियर पिघल रहे हैं. कुल मिलाकर, ये नतीजे उस व्यापक धारणा को चुनौती पेश करते हैं कि ब्रह्मांडीय धूल पृथ्वी पर जीवन को शुरू करने में असमर्थ थी.