रोडवेज बस में घूमकर बेचते थे दवा, कंडोम पर बदली सोच... मेरठ के ब्रदर्स ने खड़ी की ₹96703 करोड़ की फार्मा कंपनी
Mankind Pharma: हम में से अधिकांश लोग मैनकाइंड को कंडोम बनाने वाली कंपनी के तौर पर देखते हैं. टीवी पर इसके विज्ञापनों के चलते अधिकांश लोगों के दिमाग में इसकी छवि कंडोम बनाने वाली कंपनी की है, लेकिन ऐसा नहीं है. आज ये कंपनी देश की चौथी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है.
देश की चौथी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी
Mankind Pharma: हम में से अधिकांश लोग मैनकाइंड को कंडोम बनाने वाली कंपनी के तौर पर देखते हैं. टीवी पर इसके विज्ञापनों के चलते अधिकांश लोगों के दिमाग में इसकी छवि कंडोम बनाने वाली कंपनी की है, लेकिन ऐसा नहीं है. आज ये कंपनी देश की चौथी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है. 96703 करोड़ की मैनकाइंड फार्मा देश की चौथी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है. हाल ही में कंपनी ने 13630 करोड़ रुपये में भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड (BSV) का अधिग्रहण किया है. कंपनी दिन-रात तरक्की कर रही है. आज से कंपनी सफलता के नए आयामों को छू रही है, वो हमेशा से ऐसी नहीं थी. आज की सक्सेस के पीछे लंबा संघर्ष है.
मेरठ के दो भाईयों की कहानी
मैनकाइंड फार्मा का जितना बड़ा कारोबार है, उतनी ही दिलचस्प इसकी कहानी भी है. यूपी रोडवेज की बसों में धक्के खाने वाले एक MR यानी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने दवा दुकान पर कुछ ऐसा देखा, जिसने उसकी सोच बदल दी और मैनकाइंड फार्मा का जन्म हो गया. मेरठ के रहने वाले रमेश जुनेजा (Ramesh Juneja) एमआर. साल 1974 मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर नौकरी करते हुए उन्हें डॉक्टरों से मुलाकात करने और अपनी कंपनी की दवा बेचने के लिए घंटों का इंतजार करना पड़ता था. आमदनी बहुत थी नहीं इसलिए वो दवाईयां बेचने के लिए वो यूपी रोडवेज की बसों से सफर करते थे. डॉक्टरों से मिलने के लिए उन्हें कई-कई घंटों तक का इंतजार करना पड़ता था.
गहना बेचकर दवा खरीदने देखा तो बदल गई सोच
साल 1975 में वो लूपिन फार्मा के लिए काम कर रहे थे. इस कंपनी को बढ़ाने के लिए उन्होंने दिन रात एक कर दिया. एक दिन जब वो अपनी कंपनी की दवा बेचने के लिए एक केमिस्ट की दुकान पर खड़े होकर बात कर रहे थे, उन्होंने देखा कि एक शख्स खरीदने के लिए अपने साथ चांदी के गहने लेकर आया था. उसके पास पैसे नहीं थे और दवाईयां काफी महंगी थी. ऐसे में उसने गहने के बदले दवा देने की बात कही. ये सीन देखकर रमेश जुनेजा का दिल भावुक हो गया और उन्होंने ठान लिया कि वो ऐसी दवाईंयां बनाएंगे, जो लोगों के बजट में हो, उसे खरीदने के लिए लोगों को अपने गहने न बेचने पड़े. कम कीमत और बेहतरीन क्वालिटी की सोच के साथ उन्होंने अपनी फार्मा कंपनी शुरू करने का फैसला लिया.
हारे, लेकिन फिर से शुरू किया काम
उन्होंने बेस्टोकेम नाम की फार्मा कंपनी खोली, लेकिन वो चल न सकी. कुछ ही महीनों में उनकी कंपनी बंद हो गई. फिर भाई राजीव जुनेजा के साथ मिलकर उन्होंने 1995 में Mankind फार्मा की नींव रखी. दोनों भाईयों ने शुरुआत में 50 लाख रुपये लगाए और 25 मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के साथ काम शुरू किया. रमेज जुनेजा के पास एमआर का लंबा अनुभव था. उनके पास दवाईयां बेचने का लंबा एक्सपीरियंस था, जो काम आ गया. पहले ही साल में कंपनी का मार्केट कैप 4 करोड़ रुपये पर पहुंच गया आज इस कंपनी की मार्केट वैल्यू 96703 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.
कंडोम बनाकर हिट हो गई कंपनी, लोगों की बदल दी सोच
दवाईयां बनाने वाली कंपनी ने मार्केट को देखते हुए रणनीति बदली और कंडोम और कॉन्ट्रासेप्टिव प्रोडक्ट्स बनाने का फैसला किया. ये रमेश जुनेजा और उनके भाई राजीव जुनेजा की सोच थी, कि उन्होंने कंडोम को बेडरूम से निकालकर प्राइम टीवी और अखबारों के फ्रंट पेज पर पहुंचा दिया. कंपनी ने मैनकाइंड कंडोम के विज्ञापनों को प्राइम टीवी चैनलों और अखबारों में फुल पेज ऐड देकर उसे लोगों के बीच पॉपुलर कर दिया. कंपनी को इसका फायदा भी मिला. कंपनी के टॉप सेलिंग प्रोडक्ट्स में उसके मैनफॉर्स कंडोम सबसे ऊपर रहा. बीते पांच सालों में मैनफॉर्स कंडोम, पेगा न्यूज, अनवाडेंट 72, गैस-ओ-फास्ट, AcneStar (स्कीन ब्रांड) और मल्टीब्रांड HealthOK News टॉप सेलिंग कंज्यूमर्स ब्रांड बना हुआ है.