`मिर्जापुर` की जिस `त्रिपाठी कोठी` के लिए हुई इतनी मार-काट, असल में 121 साल पुराना महल, `कालीन भैया` के इस घर का पूरा इतिहास और तस्वीरें
Mirzapur 3 Tripathi Kothi: `मिर्जापुर` (Mirzapur) में मार धाड़ और बेहतरीन कहानी के अलावा अगर लोगों को कुछ पसंद आया है तो वो है त्रिपाठियों की शाही कोठी. इस कोठी से `मिर्जापुर` के सीजन 1 की शुरुआत हुई और इसी कोठी में रखी मिर्जापुर की गद्दी पर `सीजन 3` की कहानी खत्म हुई. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर कालीन भैया की ये आलीशान खान रियल लाइफ में कहां है? तो चलिए आज आपको `मिर्जापुर` की उस कोठी के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से इतना मार-काट मचा.
त्रिपाठियों की कोठी
'मिर्जापुर' सीरीज में नजर आई ये फेमस त्रिपाठियों की कोठी की शूटिंग बनारस के महमूरगंज के मोती झील महल में हुई है. जिसे लोग कुछ लोग 'अजमतगढ़ पैलेस' के नाम से जानते हैं. इस शाही पैलेस को 1904 में बनारस के जमींदार मोती चंद ने बनवाना शुरू किया था. जबकि इसका निर्माण कार्य करीबन 1908 के आसपास जाकर पूरा हुआ.
मोती चंद ने बनवाया महल
उस वक्त अंग्रेजों ने मोती चंद को 'राजाजी' की उपाधि से नवाजा था. फिलहाल इस आलीशान महल की देखभाल मोती चंद के पोते अशोक कुमार गुप्ता करते हैं. अब वो ही इस पैलेस के मालिक हैं और अपने पूरे परिवार के साथ इसी महल में रहते हैं.
इसलिए रखा अजमतगढ़ पैलेस नाम
मोती चंद आजमगढ़ डिस्ट्रिक्ट के अजमतगढ़ में रहते थे. वहां से ही मोती चंद अपने पूरे परिवार के साथ बनारस शिफ्ट हुए और उसके बाद इस महल को बनवाया. इसी वजह से इस महल का नाम अजमतगढ़ पैलेस रखा ताकि वो कहीं ना कहीं अपनी पुरानी यादों से जुड़े रहे.
लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इसका नाम मोती झील क्यों पड़ा? दरअसल, साल 1913 के आसपास मोती चंद ने उस वक्त परमीशन लेकर महल के पीछे झील खुदवाई थी.उसके बाद से इस एरिया का नाम मोती झील पड़ा. लेकिन इस महल को कुछ लोग एरिए की वजह से भी 'मोती झील महल' कहने लगे.
कई फिल्मों की शूटिंग
इस महल की नक्काशी काफी खास है जो वहां के रहने वालों और पर्यटकों को काफी अट्रैक्ट करती है. ये महल इतना सुंदर बना है कि जो भी इसे एक बार देखता है वो इसे बार-बार देखना चाहता है. इस महल में कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. यहां तक कि आयुष्मान खुराना की फिल्म 'शुभ मंगल सावधान' के कुछ सीन्स भी इसी महल में फिल्माए गए हैं.