चॉल में बचपन, पढ़ाई के साथ दफ्तर का काम... मुकेश अंबानी की ये कहानी उनके लिए जिन्होंने सिर्फ उनका बैंक बैलेंस देखा, संघर्ष नहीं

Mukesh Ambani Birthday Special: मुकेश अंबानी की ये कहानी उनके लिए जिन्होंने सिर्फ उनका बैंक बैलेंस देखा, संघर्ष नहीं. आज वो जिन मुकाम पर है, उसके पीछे सालों का लंबी संघर्ष और मेहनत है।

बवीता झा Thu, 18 Apr 2024-7:47 pm,
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मुकेश अंबानी

जब भी बात मुकेश अंबानी की होती है तो लोगों के दिमाग में रिलायंस इंडस्ट्रीज का विशाल साम्राज्य, एशिया का सबसे अमीर, अरबों की दौलत, एशो-आराम...इस तरह की तस्वीरें बनती है. आज मुकेश अंबानी दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल है. रिलायंस इंडस्ट्रीज को उन्होंने ऊंचाईयों के मुकाम पर पहुंचा गिया, लेकिन इन सबके पीछे उनकी सालों की मेहनत, हर दिन की जी तोड़ मेहनत है. हालांकि ये मनुष्य का स्वभाव है कि वो इंसान की सफलता तो देख लेता है, लेकिन उसके पीछे से उसका सालों की मेहनत को नहीं देख पाता.  19 अप्रैल को मुकेश अंबानी का जन्मदिन है. इस मौके पर उसकी अनसुनी बातें जानते हैं. 

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गरीबी में बीता बचपन

 19 अप्रैल 1957 को जन्मे मुकेश अंबानी  धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे हैं. आज उनके पास एंटीलिया जैसा महल है, नौकर-चाकर हैं, लेकिन उनका बचपन मुंबई के चॉल में बीता है. एक कमरे के घर में 9 लोगों का परिवार रहता था.  पिता रिलायंस को बड़ा बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. मा कोकिलाबेन बच्चों के साथ मुंबई के एक चॉल में रहती थी.  

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पिता से सजा

 

धीरुभाई अंबानी बच्चों को जितना प्यार करते थे, उतना ही अनुशासन में भी रखते थे. एक बार मेहमानों के घर आने पर मुकेश और अनिल अंबानी ने इतनी शरारत की कि उन्हें दो दिन तक गैराज में रहना पड़ा. दोनों ने मेहमानों के लिये बना हुआ खाना लिया. पिता ने दोनों को दो दिन तक गैराज में रहने की सजा दी और खाने में सिर्फ रोटी और पानी मिला.  

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पिता के संघर्ष को देखा

 

पिता जब रिलायंस को बड़ा बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे मुकेश अंबानी ने उस संघर्ष को करीब से देखा. वहीं से उन्होंने काफी कुछ सीखा और आज एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति हैं.  

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पिता का दर्द

 

मुकेश अंबानी की जिंदगी का सबसे मुश्किल वक़्त वो था जब उनके पिता को अचानक एक स्ट्रोक आया. फरवरी, 1986  में अचानक  धीरुभाई अंबानी को को दिल का दौड़ा पड़ा. उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. 24 घंटे अंबानी परिवार के लिये काफ़ी मुश्किल थे. पिता के दर्ज को उन्होंने करीब से देखा.

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पढ़ने में नंबर 1

 

मुकेश अंबानी के सिर पर कभी पैसों का घमंड नहीं चढ़ा. वो शुरूआत से ही पढ़ने में अच्छे थे.  

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जीवन का मकसद पैसा नहीं

 

मुकेश अंबानी का मक़सद जीवन में बहुत पैसा कमाना नहीं था, बल्कि वो चैलेंज लेने में विश्वास रखते थे. पढ़ाई में उनका इतना मन लगता कि वो रात-रात भर पढ़ते रहते.  

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पिता के नाम और कारोबार को बढ़ाया

 

उन्होंने पिता के बिज़नेस में आगे बढ़ाया. उनके नाम को दुनियाभर में फैलाया.  उन्होंने पिता ने परिवार के लिए वक्त निकालना सीखा    

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जनरल नॉलेज का ट्यूशन

 

पिता ने बच्चों के लिए स्कूली पढ़ाई के अलावा बाक़ी चीज़ों की भी जानकारी के लिए जनरल नॉलेज का टीचर रखा.  

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कॉलेज के साथ ऑफिस का काम

मुकेश अंबानी ने कॉलेज टाइम से ही रिलायंस इंडस्ट्री के ऑफिस में काम सीखने लगे. सुबह कॉलेज के बाद वो रिलायंस के ऑफिस पहुंच जाते और वहां काम सीखते थे. 

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बेहद मेहनती

 

जहां कॉलेज में उनके दोस्त घूमने-फिरने जाते वो रिलायंस में काम सीखते थे.  

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पिता रोल मॉडल

मुकेश अंबानी अपने पिता धीरुभाई अंबानी को आदर्श मानते थे, उन्हीं के बताए रास्ते पर चलते थे. 

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खाने के शौकीन

मुकेश अंबानी गुजराती परिवार से आते हैं, लेकिन उन्हें खाने में साउथ इंडियन डिश भी पसंद है. 

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