मुन्ना बजरंगी, विकास दुबे, अतीक-अशरफ और अब मुख्तार... UP में कभी खौफ के थे ये नाम
यूपी में कभी मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, विकास दुबे और अतीक अहमद तो बिहार में मोहम्मद शहाबुद्दीन की तूती बोला करती थी, लेकिन इन सभी को पिछले कुछ सालों में इस तरह की मौत मिली है, जिसे पूरा देश कभी भूल नहीं पाएगा.
मुख्तार अंसारी
गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी का आज उत्तर प्रदेश के बांदा में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. अपराधी मुख्तार अंसारी को उल्टी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया और वह बेहोश हो गया. डॉक्टरों की एक टीम ने उसका इलाज किया, लेकिन वे उसे बचाने में असफल रहे. मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहा मुख्तार अंसारी 60 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना कर रहा था और कई मामलों में उसे दोषी भी ठहराया गया था. 1988 में लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम पहली बार सामने आया था. इसके अलावा त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई थी और इस मामले में भी मुख्तार का ही नाम सामने आया था. वहीं, साल 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया था. उस पर रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का भी आरोप था. उस पर 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या के भी आरोप लगे थे.
मुन्ना बजरंगी
मुन्ना बजरंगी यूपी का बहुत बड़ा डॉन हुआ करता था. लोग इसके नाम से भी कांपते थे. वह यूपी के जौनपुर जिले का रहने वाला था. मुन्ना बजरंगी ने किशोर अवस्था तक आते आते जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था. उसके खिलाफ 40 से अधिक मर्डर के मुकदमे दर्ज थे. वह अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा हुआ था. उसने जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना खौफ कायम कर दिया था. मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के साथ भी मिलकर कई जुर्म को अंजाम दिया. उसने मुख्तार के कहने पर गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई. इस हत्याकांड के बाद हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. हालांकि, 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में बेहद नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया. लेकिन, 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में बंद मुन्ना की हत्या कर दी गई. उनके शरीर पर 12 गोलियों के निशान पाए गए थे. हत्या के मामले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सरगना सुनील राठी और उसके गिरोह का हाथ था.
विकास दुबे
विकास दुबे, जिसे विकास पंडित के नाम से भी जाना जाता था, वह उत्तर प्रदेश का एक बहुत बड़ा गैंगस्टर था. विकास दुबे के खिलाफ पहला आपराधिक मामला 1990 के दशक की शुरुआत में दर्ज किया गया था, और 2020 तक उनके नाम पर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. उसने अपने जीवन में हत्या, डकैती, अपहरण, अवैध भूमि अधिग्रहण, और आपराधिक धमकी जैसे कई आपराधिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदारी ली थी. उसने पुलिस स्टेशन के अंदर राज्य के एक मंत्री की हत्या भी की थी और साथ ही एक अन्य घटना में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी भी था. हालांकि, 10 जुलाई 2020 को एक एनकाउंटर में विकास दुबे की मौत हो गई थी. यूपी पुलिस के मुताबिक़, उसे मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय गाड़ी पलट गई थी. इस दौरान विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को आत्मरक्षा में उसे मारना पड़ा.
अतीक और अशरफ अहमद
अतीक अहमद उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया और नेता था. वह समाजवादी पार्टी से सांसद और उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य रह चुका था. पुलिस की गिरफ्त में 15 अप्रैल 2023 को जांच के लिए अस्पताल ले जाते समय उसकी व उसके भाई अशरफ की तीन हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. वहीं, उनके बेटे असद अहमद का भी यूपी पुलिस ने झांसी में एक मुठभेड़ में एनकाउंटर कर दिया था.
मोहम्मद शहाबुद्दीन
मोहम्मद शहाबुद्दीन एक प्रमुख बाहुबली नेता था, जो भारत के बिहार राज्य के सीवान जिले में अपनी राजनीतिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध था. उसने अपने जीवन में कई आपराधिक मामलों में शामिल होकर सजा काटी, जिसमें उनकी दो भाइयों की हत्या भी शामिल थी. इसके अलावा चंदा बाबू के तीन बेटों की हत्या के मामले में भी वह दोषी पाया गया था. शहाबुद्दीन ने चंदा बाबू के तीन बेटों की हत्या की थी, जिसमें से दो बेटों को उसने एसिड से नहलाकर निर्मम तरीके से मार डाला था. इस हत्याकांड में वह अपने राजनीतिक विरोधियों को खामोश करने के लिए अपहरण, साक्ष्य छिपाने, और आपराधिक षडयंत्र का दोषी साबित हुआ था. इसके अलावा उनके नाम से जुड़ी कई अन्य घटनाएं भी हैं. चंदा बाबू के बेटों की हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. दिल्ली के तिहाड़ जेल में वह बंद था. साल 2021 में उसकी मौत कोविड-19 से हुई थी. हालांकि, उनके परिवार का आरोप है कि तिहाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल ने उसकी हत्या कर दी थी.