26/11 Mumbai Attack: मुंबई हमले की 15वीं बरसी आज, तस्वीरों में देखें दर्द और बेबसी का वो मंजर
26/11 Mumbai attack photos: आज मुंबई हमले की 15वीं बरसी हैं. 26 नवंबर 2011 को मुंबई बम धमाकों और गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल गई थी. पीड़ितों के मन में उस हमले के जख्म आज भी ताजा है. महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस और CM एकनाथ शिंदे ने रविवार को 15 साल पहले आज के ही दिन मुंबई पर हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए जान गंवाने वाले शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.
मुंबई हमले के जख्म आज भी देशवासियों के जेहन में ताजा हैं.
15 साल पहले देश की संप्रभुता को पाकिस्तान के भेजे गए कुछ दहशतगर्दों ने चुनौती थी.
इस आतंकवादी हमले ने भारत को पाकिस्तान की नापाक हरकतों की वजह से देश की सुरक्षा चिंताओं को स्वीकार करने और उन खामियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया था, जो देश को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचा सकती थीं.
लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई के तट से शहर में एंट्री ली और वहां ताज होटल, रेलवे स्टेशन समेत कई जगहों को एक साथ निशाना बनाया. देखिए गोलियों के निशान.
कराची से मुंबई पहुंचे आतंकवादियों ने चार दिन तक मुंबई में तांडव मचाया. आतंकियों ने हमले में ताज होटल, रेलवे स्टेशन, एक अस्पताल और एक यहूदी सेंटर को निशाना बनाया था.
इस आतंकवादी साजिश को नाकाम करने के लिए पुलिस विभाग के कई अफसरों को भी अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी थी.
उस मंजर को हमारे पत्रकार साथियों ने कवर किया था.
आतंकियों ने करीब 60 घंटों तक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को बंधक बना लिया था.
मुंबई में चारों ओर दहशत का माहौल था.
इस हमले में विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई थी. इस हमले में बाल-बाल बचे मोशे होल्त्सबर्ग के नाना-नानी ने उनका दुख महसूस करने और उसे अपना समझने के लिए भारत के लोगों का आभार व्यक्त किया है. लश्कर के आतंकियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में कई स्थानों पर हमला किया था जिनमें ‘नरीमन हाउस’ भी था जिसे चाबड हाउस भी कहा जाता है. मोशे तब 2 साल का था. वो हमले के वक्त माता-पिता गैब्रिएल होल्त्बर्ग एवं रिवका होल्त्सबर्ग के साथ नरीमन हाउस में था. हमले में मोशे के माता-पिता मारे गए थे.
उससे भारत की समुद्री सुरक्षा में खामियां उजागर कर दीं. 26/11 के बाद भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
इस आतंकी हमले ने इतने बड़े पैमाने पर भारत को युद्ध का मुकाबला करने की कम तैयारियों को भी उजागर किया.