God Particle Kya Hai: `गॉड पार्टिकल` क्या है? कैसे हुई थी खोज? ब्रह्मांड का `सीक्रेट` बताने वाले पीटर हिग्स का निधन
Peter Higgs God Particle Discovery: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक पीटर हिग्स का निधन हो गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग ने उनकी मृत्यु की जानकारी दी. हिग्स 94 साल के थे. हिग्स ने अपने काम से यह समझाया कि ब्रह्मांड में द्रव्यमान कैसे है. यह फिजिक्स की सबसे बड़ी गुत्थियों में से एक था. पीटर हिग्स ने छह दशक पहले हिग्स बोसॉन `गॉड पार्टिकल` के होने की भविष्यवाणी की थी. करीब 50 साल चली रिसर्च के बाद हिग्स की भविष्यवाणी सच साबित हुई. यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) के लॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में चले प्रयोगों ने 2012 में हिग्स को सही साबित किया. अगले साल उन्हें बेल्जियन फिजिसिस्ट फ्रेंकोइस एंगलर्ट के साथ फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. हिग्स बोसॉन या `गॉड पार्टिकल` की खोज ने पीटर हिग्स को अल्बर्ट आइंस्टीन और मैक्स प्लांक जैसे वैज्ञानिकों की कतार में ला दिया था. (Photos : Reuters)
गॉड पार्टिकल क्या है?
हिग्स बोसॉन कण या गॉड पार्टिकल उन कणों को कहते हैं जिन्होंने समूचे ब्रह्मांड को बांध रखा है. ये कणों को उनका द्रव्यमान देते हैं. वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन कण का द्रव्यमान नाप लिया था. यह फिजिक्स के स्टैंडर्ड मॉडल में शामिल नहीं है फिर भी प्रकृति का मूल नियतांक है. विज्ञान के नजरिए से यह ऐतिहासिक खोज थी. 'गॉड पार्टिकल' के गुणों के बारे में और रिसर्च से वैज्ञानिक हमारे ब्रह्मांड को बेहतर ढंग से समझ पाए हैं.
हिग्स बोसान से हमें ब्रह्मांड के निर्वात की स्थिरता को तय करने में मदद मिल सकती है. रिसर्चर्स को अभी भी 'गॉड पार्टिकल' से जुड़े कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. मसलन- ये कण डार्क मैटर के साथ किस तरह पेश आते हैं? एक सवाल यह भी है कि हिग्स बोसॉन का द्रव्यमान कैसे आता है और क्या इसके कोई और रिश्तेदार भी हैं जिनके अस्तित्व के बारे में हम अभी नहीं जानते.
फिजिक्स में कैसे जगी पीटर हिग्स की दिलचस्पी
पीटर हिग्स का जन्म 29 मई, 1929 को इंग्लैंड में हुआ था. फिजिक्स में उनकी दिलचस्पी जागी कॉथम ग्रामर स्कूल में पढ़ते हुए. वहीं पर पॉल डिरैक भी थे जिन्हें क्वांटम मैकेनिक्स के जनकों में से एक माना जाता है. उनकी थियरी प्रकृति की ताकतों को बोसॉन नामक एनर्जी के बल-वाहक टुकड़ों के बीच किसी खेल की तरह समझाती है. हिग्स ने आगे चलकर इसी क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल किया. हिग्स ने कुछ दिन तक लंदन के इंपीरियल कॉलेज और यूनिवर्सिटी कॉलेज में टेंपरेरी रिसर्च पोस्ट पर काम किया. 1960 में वह यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में लेक्चरर हो गए. यही से उनकी रिसर्च केमिस्ट्री और अणुओं से हटकर एलिमेंट्री फिजिक्स की ओर मुड़ गई.
पीटर हिग्स ने 1964 में की थी गॉड पार्टिकल की भविष्यवाणी
हिग्स उस समय सिर्फ 35 साल के थे, जब उन्होंने एक नए कण के मौजूद होने की भविष्यवाणी की. वह साल था 1964. हिग्स के मुताबिक, इस कण से हमें यह समझ आ जाएगा कि अन्य कण कैसे द्रव्यमान हासिल करते हैं. 1967 आते-आते बोसॉन कणों की बात खूब होने लगी थी. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस के एक वैज्ञानिक ने कमजोर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ताकतों को एक करने में सफलता हासिल की. 1971 में बेल्जियन थ्योरिस्ट जेरार्डस'ट हूफ़्ट ने साबित किया कि यह थ्योरी गणितीय रूप से सही है. हिग्स के मुताबिक, बेंजामिन ली ने 1972 में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान इस कण को 'हिग्स बोसॉन' नाम दिया.
2012 में गॉड पार्टिकल की खोज से लगी मुहर
पीटर हिग्स ने जिस कण की मौजूदगी की भविष्यवाणी की, उसे खोजने में वैज्ञानिकों को करीब पांच दशक लग गए. 4 जुलाई, 2012 को CERN ने हिग्स बोसॉन कण या 'गॉड पार्टिकल' की खोज का ऐलान किया. हिग्स को उस समय जिनेवा स्थित CERN के लेक्चर हॉल में बुलाया गया था. हॉल में मौजूद हर व्यक्ति ने खड़े होकर, तालियां बजाते हुए महान वैज्ञानिक का स्वागत किया. जब हिग्स ने सुना कि उनकी थ्योरी सच साबित हुई है तो वह आंसू नहीं रोक पाए. तब उन्होंने कहा था, 'यह बड़ी अद्भुत बात है कि मेरे जिंदा रहते यह हो पाया.'