PPF Vs FD: Income Tax बचाने के लिए PPF या बैंक एफडी, क्या है बेस्ट ऑप्शन?
PPF Interest Rate: पीपीएफ (PPF) और टैक्स सेविंग एफडी दोनों ही इनकम टैक्स सेव करने के अच्छे ऑप्शन हैं. इसमें आपको निवेश पर अच्छे रिटर्न के साथ टैक्स बेनिफिट भी मिलता है. पीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर की हर तीन महीने में वित्त मंत्रालय की तरफ से समीक्षा की जाती है. इसमें समय-समय पर बदलाव भी होता है. लेकिन एफडी पर पहले से ही तय अवधि पर निर्धारित दर से ब्याज मिलता है.
एफडी के कुछ नुकसान भी हैं लेकिन पीपीएफ इनकम टैक्स से राहत देता है. एफडी किसी भी शख्स के टैक्स स्लैब के अनुसार मिलने वाले ब्याज पर टैक्स के अधीन है. लेकिन एफडी का रिटर्न हमेशा महंगाई को मात नहीं दे सकता है. यानी आपकी सेविंग का वास्तविक मूल्य समय के साथ गिरने का जोखिम है. एफडी पर सरकार की तरफ से गारंटी नहीं दी जाती. लेकिन पीपीएफ पर सरकार की तरफ से गारंटी दी जाती है.
कई टैक्सपेयर सेवानिवृत्ति और अपनी योजनाओं को ध्यान में रखकर निश्चित आय, टैक्स सेविंग निवेश के लिए पीपीएफ चुनते हैं. टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड ऐसे लोगों के लिए बेस्ट है जो टैक्स सेविंग और सुरक्षित निवेश विकल्प के साथ लंबी अवधि के लिए बचत की तलाश में हैं. वहीं एफडी ज्यादा फ्लेग्जिबिलिटी देती है. यह निवेशकों के लिए अच्छा ऑप्शन है. कुल मिलाकर पीपीएफ में लॉन्ग टर्म में निवेश करना होगा और एफडी में ऐसा नहीं है.
पीपीएफ में इनवेस्टमेंट करने पर आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स कटौती के लिए योग्य है. यानी आपकी टैक्स देनदारी में इसमें निवेश से कटौती हो जाती है. लेकिन पीपीएफ की मैच्योरिटी पर ब्याज और आपको मिलने वाली राशि टैक्स फ्री है. सैलरीड क्लॉस के लिए यह टैक्स सेविंग के लिहाज से आकर्षक स्कीम है.
पीपीएफ पर मौजदूा ब्याज दर जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत है. लेकिन टैक्स सेविंग एफडी पर एसबीआई (SBI) 6.50 प्रतिशत की ब्याज दे रहा है.
यदि आप लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दर पर एफडी करते हैं तो ब्याज दर बढ़ने पर आपको नुकसान होगा. इस कारण पीपीएफ पांच साल की टैक्स सेविंग एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न देता है. एफडी की ब्याज दरें पूरी निवेश अवधि के दौरान स्थिर रहती हैं. वहीं, पीपीएफ की ब्याज दर फ्लोटिंग है जो हर तिमाही में बदल सकती है.
पीपीएफ में कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. यह अकाउंट 15 साल में मैच्योर होता है. मैच्योरिटी के बाद आप पैसा निकालकर खाता बंद कर सकते हैं या निवेश जारी रखने के लिए इसे पांच-पांच साल की अवधि में बढ़ा सकते हैं.
जरूरत पड़ने पर आप पीपीएफ से आंशिक निकासी कर सकते हैं. निवेश करने के सातवें साल में चिकित्सा, आपात स्थिति या बच्चों की शिक्षा या शादी जैसी जरूरतों के लिए पैसा निकाल सकते हैं. छोटी निवेश अवधि के लिए एफडी अच्छा विकल्प है. लेकिन लॉन्ग टर्म में पीपीएफ बेस्ट है.