भगवान जगन्‍नाथ के रथ में हैं कई खासियतें, यात्रा में शामिल होने से मिलता है 100 यज्ञ जितना फल

Jagannath Rath Yatra 2024: हिंदू धर्म में जगन्नाथ यात्रा का विशेष महत्‍व है. हर साल आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है. इसमें भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ में बैठकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं. आइए आज जानते हैं इन तीनों रथों की खासियतें.

श्रद्धा जैन Tue, 02 Jul 2024-2:10 pm,
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तीनों रथों के नाम

जगन्‍नाथ रथ यात्रा में कुल तीन रथ होते हैं. प्रभु जगन्‍नाथ के रथ का नाम 'नंदीघोष' है. यह रथ लाल और पीले रंग का होता है. वहीं देवी सुभद्रा काले और लाल रंग के 'दर्प दलन' रथ में विराजमान होती हैं. भाई बलराम लाल और हरे रंग के रथ 'तालध्वज' में विराजमान होते हैं. 

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सबसे ऊंचा रथ

इन तीनों रथों में सबसे ऊंचा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है. जिसकी ऊंचाई 45.5 फीट होती है. वहीं बाकी 2 रथों की ऊंचाई इससे आधा और एक फीट कम होती है. 

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नहीं लगती एक भी कील

भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के रथों में ना तो कोई कील लगाई जाती है. ना ही इन रथ को बनाने में किसी धातु का उपयोग होता है. ये रथ केवल नीम की लकड़ी से बनाए जाते हैं. 

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बसंत पंचमी से चुनी जाती हैं लकड़ी

इन विशेष रथों को बनाने के लिए लकड़ी का चयन बसंत पंचमी के दिन शुरू होता है और सारी सामग्री जुटाने के बाद रथ को बनाने का कार्य अक्षय तृतीया से शुरू होता है.

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प्रभु के रथ में 16 पहिए

भगवान जगन्नाथ के रथ में कुल 16 पहिये होते हैं. यह रथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा के रथ से थोड़ा बड़ा होता है. 

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सोने की झाड़ू से होती है सफाई

जब रथ बनकर तैयार हो जाते हैं तो सबसे पहले राजा गजपति इनकी पूजा करते हैं. इस दौरान राजा सोने की झाड़ू से रथ के मंडप को साफ करते हैं. फिर रथ यात्रा के रास्‍ते को भी सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है. 

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मिलता है 100 यज्ञ का फल

प्रभु जगन्‍नाथ की रथ यात्रा इतनी खास होती है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लोग आते हैं. मान्‍यता है कि जगन्‍नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञ करने जितना पुण्‍य फल मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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