धरती के मुकाबले चांद पर समय तेज चलता है, पर कितना? वैज्ञानिकों ने पता लगाया
Earth And Moon Time Difference: हमें यह तो मालूम था कि पृथ्वी के मुकाबले चंद्रमा पर समय थोड़ा तेज चलता है. अब वैज्ञानिकों ने इस तेजी का सटीक पता लगा लिया है. चंद्रमा का समय हमारे गृह ग्रह के समय की तुलना में रोज सेकंड के 57 मिलियनवें भाग के बराबर यानी 0.0000575 सेकेंड आगे बढ़ जाता है. 52 साल पहले अंतरिक्ष यात्री पहली और आखिरी बार चांद की सतह पर गए थे. तब से अब हम पृथ्वीवासियों के सापेक्ष, चंद्रमा का समय लगभग 1.1 सेकंड आगे बढ़ चुका है. पढ़ने में भले ही यह समयकाल बेहद छोटा लगे, लेकिन है बेहद महत्वपूर्ण. NASA के वैज्ञानिकों की नई स्टडी का यह नतीजा नेविगेशन सिस्टमों की सिंकिंग में अंतर को दूर कर सकता है. अमेरिका फिर से चंद्रमा पर इंसान को भेजने की तैयारी कर रहा है.
बड़ा मुश्किल था यह जान पाना
गुरुत्वाकर्षण समय को धीमा कर देता है, यह बात हमें अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में बताई थी. लेकिन गुरुत्वाकर्षण में अंतर से समय में आने वाली किसी भी अस्थायी विकृति को मापना - जैसे कि पृथ्वी के खिंचाव और चंद्रमा के बीच का अंतर - बेहद मुश्किल था. हमने उतनी संवेदनशील परमाणु घड़ियां पिछले दशक के भीतर ही बनाई हैं जो दो गतिमान सापेक्ष पिंडों के समय में अंतर को बता सकें, या अलग-अलग गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से समय में अंतर का पता लगा सकें. (Photo : NASA)
पृथ्वी और चांद के समय में अंतर कैसे पता चला?
पृथ्वी से देखने पर ऐसा लगता है मानो चंद्रमा धरती के हर दिन पर एक सेकंड के 57 मिलियनवां भाग आगे बढ़ गया है. NASA वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बैरीसेंटर के सापेक्ष पृथ्वी और चंद्रमा के लिए समय के स्लाइडिंग स्केल की गणना करके यह आंकड़ा निकाला. यह सौर मंडल का सामान्य द्रव्यमान केंद्र है, जिसके चारों ओर सूर्य, ग्रह और उपग्रह एक नाजुक संतुलन में परिक्रमा करते हैं. (Photo : ESA)
फिर चंद्रमा पर जा रहा इंसान
चंद्रमा पर इंसान भेजने का दूसरा मिशन 50 साल बाद शुरू किया गया है. ऐसे में वैज्ञानिकों के पास यह पता लगाने का कोई कारण नहीं था कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच समय के उन छोटे-छोटे अंतरों ने क्या भूमिका निभाई. चंद्रमा पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का छठा हिस्सा है, लेकिन अंतरिक्ष यात्री केवल कुछ समय के लिए ही वहां रुके थे, इसलिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी. लेकिन अब एस्ट्रोनॉट्स को वहां लंबे समय तक ठहरना है. (Photo : ESA)
क्यों अहम है नई खोज
आर्टेमिस मिशन के जरिए NASA 2026 तक इंसान को फिर से चांद पर भेजना चाहता है. अमेरिकी एजेंसी चंद्रमा पर लगातार मौजूदगी बनाए रखना चाहता है. धरती पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर हमें नैनोसेकेंड लेवल तक समय की जानकारी देता है. चंद्रमा पर लैंड करना हो या उसपर नेविगेट करना, खतरनाक इलाकों से बचने के लिए सटीक माप जरूरी है. (Photo : NASA)
किस काम आएगी यह खोज
इसी साल अप्रैल में, NASA और अन्य अमेरिकी एजेंसियों को चंद्रमा के लिए एक यूनिफाइड टाइम रेफरेंस सिस्टम तैयार करने को कहा था, जिस पर अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां सहमत हो सकें. उस कोशिश में यह खोज काम आएगी. (Photo : ESA)