10 लाख भारतीयों का घर, तेल के कुओं पर बैठा देश, टाटा-महिंद्रा जैसी कंपनियों का व्यापार...PM मोदी का कुवैत दौरा क्यों है अहम?
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10 लाख भारतीयों का घर, तेल के कुओं पर बैठा देश, टाटा-महिंद्रा जैसी कंपनियों का व्यापार...PM मोदी का कुवैत दौरा क्यों है अहम?

India Kuwait Relation: कुवैत, भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से भी एक है. नागरिकों की संख्या और कार्यबल के लिहाज से भी कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय लगभग 10 लाख हैं. 

10 लाख भारतीयों का घर, तेल के कुओं पर बैठा देश, टाटा-महिंद्रा जैसी कंपनियों का व्यापार...PM मोदी का कुवैत दौरा क्यों है अहम?

PM Modi's Kuwait Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय कुवैत दौरे पर जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा है कल यानी 21 दिसंबर से शुरू हो रही दो दिवसीय कुवैत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने में मदद मिलेगी. पिछले 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस प्रमुख पश्चिम एशियाई देश की पहली यात्रा होगी. इससे पहले कुवैत की आखिरी यात्रा 1981 में तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने की थी.

सभी खाड़ी देशों के साथ दीर्घकालिक, ऐतिहासिक और घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी की यह दो दिवसीय यात्रा कई मायनों में अहम होने वाली है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मोदी कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के आमंत्रण पर इस यात्रा पर जायेंगे. यात्रा के दौरान मोदी कुवैत के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे.

भारत, कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है. कुवैत, भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से भी एक है. नागरिकों की संख्या और कार्यबल के लिहाज से भी कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय लगभग 10 लाख हैं. 

कैसा रहा है दोनों देशों के बीच संबंध

भारत और कुवैत के बीच ऐतिहासिक और घनिष्ठ संबंध रहे हैं, जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. भौगोलिक निकटता, ऐतिहासिक व्यापारिक संबंध, सांस्कृतिक समानताएं, और कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीयों की उपस्थिति इस रिश्ते को और मजबूत करती हैं. भारत कुवैत का स्वाभाविक व्यापारिक साझेदार रहा है. यहां तक कि 1961 तक कुवैत में भारतीय रुपया कानूनी मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होता था.

तेल की खोज और विकास से पहले, कुवैत की अर्थव्यवस्था उसके बेहतरीन बंदरगाह और समुद्री गतिविधियों पर निर्भर थी. इसमें जहाज निर्माण, मोती निकालना, मछली पकड़ना, और लकड़ी के जहाजों पर भारत की यात्रा करना शामिल था. ये जहाज खजूर, अरब के घोड़े और मोती लेकर जाते थे और बदले में लकड़ी, अनाज, कपड़े और मसाले लाते थे.

कच्चे तेल और एलपीजी का एक विश्वसनीय सप्लायर

ऐतिहासिक रूप से भारत-कुवैत संबंधों का हमेशा एक महत्वपूर्ण व्यापार आयाम रहा है. भारत लगातार कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है. 2023-24 के दौरान कुवैत के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार 10.479 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें कुवैत को भारतीय निर्यात 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो साल-दर-साल 34.78% की वृद्धि दर्शाता है.

कुवैत भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को कच्चे तेल और एलपीजी का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता और पेट्रोलियम गैस का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था और यह भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का लगभग 3.5% पूरा करता था.

कुवैत में कई भारतीय कंपनियों का व्यापार

कुवैत में मौजूद प्रमुख भारतीय कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), शापूरजी पालोनजी, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, एफकॉन्स, केईसी इंटरनेशनल जैसी ईपीसी के साथ-साथ टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस) और टेक महिंद्रा सहित आईटी/आईटीईएस कंपनियां शामिल हैं. 

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