Success Story: तय कर लिया-बनूंगी तो आईएएस अधिकारी ही, ममता यादव ने बिना कोचिंग हासिल की ये सफलता

Success Story of IAS Mamta Yadav: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होना एक ऐसी उपलब्धि है जो कई लोगों के लिए संभव नहीं है. हालांकि, आईएएस ममता यादव एक नहीं बल्कि दो बार इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की. आईएएस ममता यादव की जर्नी बेहद ही खास है. वह अपने गांव से पहली आईएएस अधिकारी बनीं और देशभर में महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए एक मिसाल कायम कीं.

आरती आज़ाद Mon, 29 Apr 2024-4:50 pm,
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IAS ममता यादव की जर्नी

आईएएस ममता यादव की कहानी दृढ़ संकल्प और अटूट समर्पण का परिणाम है. इस महिला अधिकारी की जर्नी कड़ी मेहनत और हिम्मत से अपनी आकांक्षाओं को हासिल करने का प्रयास करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा है.

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हरियाणा से हैं IAS ममता

हरियाणा के बसई गांव से आने वाली ममता की परवरिश बहुत ही साधारण तरीके से हुई. उनके पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत थे और उनकी मां गृहिणी हैं. 

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दिल्ली से की है पढ़ाई

दिल्ली के जीके में बलवंत राय मेहता स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद ममता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से डिग्री हासिल की. इसके बाद ट्रेडिशनल करियर पाथ चुनने के बजाय उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया.

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पहली बार 2019 में मिली सफलता

उनकी सफलता की यात्रा चार साल के अथक समर्पण और अद्वितीय दृढ़ता से तय हुई. हालांकि, साल 2019 में उनकी मेहनत रंग लाई, लेकिन 556वीं रैंक के कारण उनका आईएएस बनने का सपना अधूरा रह गया.

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बचपन का सपना

हालांकि, उनके पास मौका था कि वो इसी रैंक पर रेलवे में जॉब कर आगे की जिंदगी आराम से जिएं, लेकिन उन्हें अपने बचपन के सपने को पूरा करना था, इसलिए वो यहीं पर नहीं रुकीं. असफलताओं से घबराएं बिना ममता ने एक बार फिर तैयारी शुरू की और 2020 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठीं. 

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UPSC 2020 में 5वीं रैंक

जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो ममता को खुद यकीन नहीं हुआ, इस बार वह इतिहास लिख चुकी थीं. अटूट प्रतिबद्धता और संकल्प के कारण उनके नतीजे में गजब का उछाल आया और उन्होंने पूरे देश में 5वीं रैंक हासिल की. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में ये कामयाबी बिना कोचिंग हासिल की थी. 

 

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सफलता देती है मेहनती का साथ

हालांकि, एआईआर 556 से AIR 5 तक पहुंचना ममता के लिए कोई आसान बात नहीं थी. उन्होंने हर दिन 10 से 12 घंटे के अटूट समर्पण से तैयारी की. सेल्फ स्टडी पर जोर देते हुए ममता ने एनसीईआरटी और दूसरी किताबों पर भरोसा किया. ममता अपनी उपलब्धियों का श्रेय न अपने माता-पिता के अटूट समर्थन को देती हैं, जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे. 

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सही दिशा में करें मेहनत

ममता यादव अपने गांव बसई की पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं. एक इंटरव्यू के दौरान ममता ने कहा था, "मुझे ये तो उम्मीद थी कि मेरी रैंक में सुधार होगा, लेकिन मैं 5वीं रैंक हासिल कर लूंगी, ये वाकई बहुत चौंकाने वाली बात है. कोई भी मंजिल ऐसी नहीं, जिसे आप हासिल नहीं कर सकते. जरूरत केवल उस मकसद को हासिल करने के लिए सही दिशा में मेहनत करने की है."

 

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