What is coma: जब मरीज बन जाता है जिंदा लाश, क्या है कोमा में जाने की खास वजह
Coma Reason: हाल ही में सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने करीब आठ साल तक कोमा में रहने के बाद आखिरी सांस ली. इनके अलावा देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में बहुत से ऐसे लोग रहे हैं जो एक बार कोमा में गए तो उससे उबर नहीं पाए. हालांकि ऐसे मरीज भी हैं जो कोमा से बाहर निकल सकने में कामयाब हुए. अब सवाल यह है कि कोमा में कोई शख्स कैसे चला जाता है. अगर कोई कोमा में गया तो उसके पीछे की वजह क्या रही है. सबसे बात यह कि क्या कोई शख्स कोमा से उबर पाता है या नहीं. यहां पर हम सभी सवालों के जवाब देंगे.
करमवीर सिंह नत्त
करमवीर सिंह नत्त भारतीय फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल थे. आठ साल पहले कुपवाड़ा के जंगलों में आतंकियों से सामना करते हुए गोली जबड़े में लगी थी. उसके असर से दिमाग की कोशिकाओं ने काम करना बंद कर दिया था और वो कोमा में चले गए थे.
प्रियरंजन दास मुंशी
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रियरंजन दास मुंशी का लंबी बीमारी के बाद 20 नवंबर 2017 को निधन हुआ था. खास बात यह थी कि मौत से पहले वो करीब 9 साल तक कोमा में रहे. 9 साल तक कोमा में रहने के दौरान इनके शरीर के सभी अंग काम कर रहे थे हालांकि दिमाग गहरी नींद में था.
एरियल शेरोन
इजरायल के पूर्व पीएम एरियल शेरोन को 2006 में स्ट्रोक आया था. 2014 में उनकी मौत हुई थी. मौत से पहले करीब आठ साल तक वो कोमा में रहे. इनके बारे में कहते हैं कि कोमा की स्थिति में भी यह कुछ समय के लिए रेस्पांड करते रहे. हालांकि बाद के वर्षों में पहचानना और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया भी बंद कर दी थी.
धीरू भाई अंबानी
धीरू भाई अंबानी ने 6 जून 2002 को अस्पताल में अंतिम सांस ली. मौत से पहले वो कोमा में चले गए थे. इससे पहले साल 1986 में भी वो करीब एक हफ्ते तक कोमा में रहे हालांकि वो उससे बच निकलने में कामयाब हो गए थे. ये बात अलग है कि उनकी शरीर के दाहिने हिस्से पर लकवा का असर था.
प्रणब मुखर्जी
84 साल की उम्र में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 को हुआ था. फेफड़ों में संक्रमण की वजह से वो सेप्टिक शॉक में थे. हालांकि उनके दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया था. डॉक्टर बताते हैं कि बढ़ती उम्र में जब कोई बीमारी घर कर जाती है वैसी सूरत में दिमाग की कोशिकाएं भी शिथिल पड़ जाती हैं.
क्या होता है कोमा
कोमा चेतना की एक अवस्था है जो गहरी नींद के समान है, इसमें कोई भी बाहरी उत्तेजना जैसे आवाज या संवेदना मस्तिष्क को जागृत और सतर्क होने के लिए प्रेरित नहीं कर सकती है. कोमा में व्यक्ति दर्द पर प्रतिक्रिया भी नहीं कर पाता है. बीमारियों, हालात और घटनाओं सब एक साथ मिलकर मरीज को कोमा की स्थिति में ले जाते हैं.
कोमा में जाने की वजह
एडवर्ड ओ बारा के बारे में कहा जाता है कि वो करीब 42 साल तक कोमा में थीं. आखिर कोई मरीज कोमा में क्यों चला जाता है.हादसे में या किसी और वजह से दिमाग में खून का रिसाव अधिक होता है तो उसकी वजह से टॉक्सिन इकट्ठा होने लगते हैं. टॉक्सिन की अधिक मात्रा की वजह से दिमाग धीरे धीरे काम करना बंद कर देता है. कुछ लोग अपने चारों तरफ की चीजों को देख पाते हैं लेकिन प्रतिक्रिया नहीं दे पाते हैं.
कोमा से बचाव
क्या कोई कोमा से उबर पाता है, सामान्य तौर पर लोग इससे उबर जाते हैं. हालांकि अगर दिमाग में रक्त का स्राव अधिक हो या किसी शख्स में पहले से कोई बीमारी हो तो कोमा से उबरना आसान नहीं होता. ग्लास्गो स्केल के जरिए पता चलता है कि करीब 15 फीसद मरीज कोमा में जाने के 6 घंटे के बाद रेस्पांड करना शुरू कर देते हैं. इससे बचने का सबसे अच्छे उपाय के बारे में डॉक्टर बताते हैं कि आप अपनी दिनचर्या सही रखें.