स्पेस क्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजने पर कितना होता है खर्च? एक दशक में कैसे बदल गया पूरा गेम

Space Race: बीते कुछ वर्षों में देखें तो स्पेस में आगे निकलने की जो रेस शुरू हुई है, वह आज एक जंग में तब्दील हो गई है. हर महाशक्ति खुद को दूसरे से स्पेस में आगे रखना चाहती है. इसलिए स्पेस में मिशन भेजने की रफ्तार तेज हो गई हो, भले ही वो चांद हो या फिर मंगल. इतना ही नहीं, स्पेस टूरिज्म का डंका भी अमीरों के बीच जमकर बज रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्पेस में एक कार्गो रॉकेट को भेजने में कितने पैसे खर्च होते हैं और बीते वर्षों में इस कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के डेटा के आधार पर हम आपको साल 1960 से लेकर 2022 में छोड़े गए अहम स्पेसक्राफ्ट की प्रति किलोग्राम लागत (डॉलर में) पर बात करेंगे.

रचित कुमार Oct 14, 2024, 17:08 PM IST
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21 दिसंबर 2021 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट छोड़ा गया, जिसने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स को क्रिसमस के तोहफे सप्लाई किए थे. इसे छोड़े जाने के 8 मिनट के भीतर ही रॉकेट का पहला स्टेज धरती पर लौट आया. यह कंपनी की 100वीं कामयाब लैंडिंग थी. 

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इसी तरह जेफ बेजॉस की ब्लू ओरिजिन, एंड बॉल एयरोस्पेस और स्पेसएक्स ऐसे ही इनोवेटिव स्पेसक्राफ्ट बना रहे हैं, जिससे स्पेस में सामान पहुंचाना बेहद किफायती और आसान होता जा रहा है. 

 

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20वीं सदी में जब शीत युद्ध चरम पर था तब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अंतरिक्ष में आगे रहने की होड़ थी. स्पेस रेस की वजह से टेक्नोलॉजी तो बेहतर हुई लेकिन इन इनोवेशन की लागत बहुत ज्यादा थी. जैसे 1960 में नासा ने चांद पर एस्ट्रोनॉट्स को उतारने में 28 बिलियन डॉलर खर्च कर दिए थे. आज यह कीमत करीब 288 बिलियन डॉलर होती. 

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पिछले दो दशकों में स्पेस स्टार्टअप्स ने यह साबित किया है कि वे बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसे महारथियों से मुकाबला कर सकते हैं. आज स्पेसएक्स का रॉकेट लॉन्च 1960 में रूस के Soyuz की तुलना में 97 प्रतिशत सस्ता है. 

 

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रूस के Soyuz को लॉन्च करने में प्रति किलोग्राम 6400 डॉलर से लेकर 10000 डॉलर की लागत आई थी. जबकि अमेरिका के Saturn V की लॉन्चिंग की प्रति किलोग्राम लागत 5000 डॉलर रही. इन दोनों को ही 1960 के दशक में लॉन्च किया गया था. 

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इसके बाद अमेरिका के स्पेस शटल को लॉन्च करने का प्रति किलोग्राम बजट 53000 डॉलर के पार चला गया. इसके बाद 1996 में चीन ने लॉन्ग मार्च 3बी लॉन्च किया, जिसकी लॉन्चिंग की प्रति किलोग्राम लागत करीब 6000 डॉलर रही. 

 

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इसके बाद अमेरिका ने 2004 में हैवी डेल्टा रॉकेट लॉन्च किया, जिसकी लागत करीब 12000 डॉलर के आसपास आई. रूस ने 2014 में अंगारा रॉकेट लॉन्च किया, जिसकी प्रति किलोग्राम लागत 4000 डॉलर के करीब रही. 

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 वहीं स्पेस एक्स के फाल्कन हैवी रॉकेट की लॉन्च में प्रति किलोग्राम 1500 डॉलर खर्च हुए. जबकि  स्पेसएक्स के ही स्टारशिप को लॉन्च करने में प्रति किलोग्राम लागत महज 190 डॉलर रही. यानी आज एक स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करना एक दशक पहले की तुलना में 10 गुना सस्ता है.  

 

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