भारत में किस मजहब में पैदा होते हैं सबसे कम बच्चे, किस धर्म में सबसे ज्यादा, आंकड़े कर देंगे हैरान
Fertility Rate in India: भारत विविधताओं से भरा देश है. हर धर्म के लोग यहां रहते हैं. लेकिन पिछले कुछ दशकों में भारत में फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) तेजी से गिर रही है. प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अगले 26 साल में प्रजनन दर घटकर 1.29 रह जाएगी. भारत में मौजूदा प्रजनन दर 1.91 है, जो साल 2021 के आंकड़ों पर आधारित है. साल 1950 में प्रजनन दर 6.18 पर थी. यानी उस दौर में प्रति महिला के एवरेज 6.18 बच्चे थे. आज एक औसत भारतीय महिला की प्रजनन दर 2.2 है. जो कई विकसित देशों जैसे अमेरिका (1.6) से ज्यादा है.
लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे कि भारत में किस धर्म में सबसे कम बच्चे पैदा हो रहे हैं और किस धर्म में सबसे ज्यादा. चलिए जानते हैं.
भारत में हर धर्म में प्रजनन दर में गिरावट आ रही है, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन तक शामिल हैं. भारतीय मुसलमानों में उदाहरण के तौर पर प्रजनन दर काफी गिरी है. साल 1992 में यह 4.4 प्रति महिला थी, जो 2015 में 2.6 बच्चों तक पहुंच गई है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, धार्मिक डेटा इसी साल तक उपलब्ध है.
लेकिन बावजूद इसके भारत में अब भी मुस्लिमों में सबसे ज्यादा प्रजनन दर है. इसके बाद हिंदुओं का नंबर (2.1) है. जैन धर्म में सबसे कम (1.2) प्रजनन दर है. यह पैटर्न साल 1992 जैसा ही है. उस वक्त भी मुस्लिमों में सबसे ज्यादा प्रजनन दर (4.4) थी. इसके बाद हिंदुओं का नंबर (3.3) था.
लेकिन भारत के धार्मिक समूहों के बीच बच्चे पैदा करने का अंतर आम तौर पर पहले की तुलना में बहुत कम है. उदाहरण के लिए, 1992 में मुस्लिम महिलाओं के हिंदू महिलाओं की तुलना में औसतन 1.1 ज़्यादा बच्चे पैदा करने की उम्मीद थी, लेकिन 2015 तक यह अंतर घटकर 0.5 रह गया.
साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा आबादी (79.8 फीसदी) हिंदुओं की है, जो 2001 में हुई जनगणना की तुलना में 0.7 फीसदी कम है. जबकि मुस्लिमों की जो आबादी 2001 में 13.4 फीसदी बढ़ी थी, वह 2011 में 14.2 फीसदी तक पहुंच गई. इसमें 4.4 फीसदी का इजाफा हुआ है.