कौन हैं क्रिस्टल कौल, जो लड़ रहीं US कांग्रेस के लिए चुनाव; कश्मीर से खास नाता, जानें उनके बारे में सबकुछ

Who is Krystle Kaul: काजू बर्फी, रोगन जोश, दम आलू... अगर क्रिस्टल कौल अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव जीतती हैं तो जश्न का मेन्यू कुछ ऐसा हो सकता है. इसके पीछे की वजह है कि क्रिस्टल भारतीय मूल की महिला हैं और उनका कश्मीर से खास नाता है. वर्जीनिया के 10वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से चुनाव लड़ेंगी. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में निर्वाचित होने पर क्रिस्टल पहली कश्मीरी-सिख बन सकती हैं.

सुमित राय Tue, 02 Apr 2024-10:29 am,
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कौन हैं क्रिस्टल कौल?

क्रिस्टल भारतीय (Krystle Kaul) मूल रूप से कश्मीर की रहने वाली हैं. क्रिस्टल का जन्म अमेरिका के न्यूयॉर्क में ही हुआ था, लेकिन उनके पिता कश्मीर के रहने वाले थे और उनकी मां दिल्ली की रहने वाली थीं. क्रिस्टल के पिता 26 साल की उम्र में अमेरिका जाकर बस गए थे, जबकि उनकी मां सात साल की उम्र में अमेरिका चली गई थीं. इसके बाद दोनों की पहली मुलाकात अमेरिका में ही हुई थी और वहीं शादी की.

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कितनी पढ़ी-लिखी हैं क्रिस्टल?

क्रिस्टल कौल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद 17 साल की उम्र में हायर एजुकेशन के लिए वॉशिंगटन डीसी चली गई थीं. उन्होंने अमेरिकन यूनिवर्सिटी से बीए, ब्राउन यूनिवर्सिटी और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की है. उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी में पोलिटिकल साइंस में पीएचडी की डिग्री हासिल की है. क्रिस्टल कौल अंग्रेजी के अलावा हिंदी, पंजाबी, दारी, उर्दू, अरबी और कश्मीरी समेत आठ भाषा बोलती हैं.

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आधी कश्मीरी पंडित-आधी सिख

क्रिस्टल कौल खुद को आधी कश्मीरी पंडित और आधी सिख मानती हैं. उनका कहना है कि उन्हें दोनों सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों पर गर्व है. क्रिस्टल कौल ने कहा है कि चुनाव में पहले कश्मीरी पंडित और वर्तमान में अमेरिका में कांग्रेस के लिए एकमात्र सिख महिला के रूप में खड़े होने पर गर्व है.

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जो बाइडेन की पार्टी से लड़ेंगी चुनाव

क्रिस्टल कौल वर्जीनिया के 10वें कांग्रेसनल डिस्टि्रक्ट से चुनाव लड़ रही हैं. वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी डेमोक्रेटिक की ओर से उम्मीदवार हैं.

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वर्जीनिया से क्यों लड़ रही चुनाव?

क्रिस्टल कौल ने वर्जीनिया से चुनाव लड़ने का फैसला किया है, क्योंकि इस सीट से मौजूदा डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य जेनिफर वेक्सटन दोबारा चुनाव नहीं लड़ रही हैं और इसलिए यह एक स्वतंत्र सीट है. इसके साथ ही वर्जीनिया में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों और दक्षिण एशियाई लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में उनकी जीत निश्चित मानी जा रही है.

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