Yearender 2023: 12वीं फेल से ओएमजी 2 तक, दिलों-दिमाग पर छाईं ये 10 फिल्में

Yearender 2023: वर्ष 2023 में थिएटर स्क्रीन या ओटीटी प्लेटफार्मों पर कई फिल्में आईं. कई फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुई तो वहीं कुछ फिल्में ऐसी भी रहीं, जो दर्शकों के दिलोंदिमाग पर छा गईं. इन फिल्मों ने लोगों के दिलों पर एक ऐसी छाप छोड़ दी है, जो लंबे समय तक रहने वाली है. जटिल मुद्दों और सामाजिक विषयों पर बनी ये फिल्मों को जमकर तारीफ भी मिली.

1/10

12वीं फेल

'12वीं फेल' एक जरूर देखी जाने वाली फिल्म है, जो आपको प्रभावित और प्रेरित करती है. यह एक बायोपिक फिल्म है, जो आईपीएस अनुराग पाठक की कहानी है. इनकी इसी नाम की बेस्टसेलर किताब भी है, जिस पर फिल्म आधारित है. विक्रांत मेसी ने इस फिल्म में शानदार का किया है. फिल्म एक चंबल इलाके के एक लड़के की कहानी है, 12वीं में फेल होने के बाद दिल्ली आकर यूपीएससी की परीक्षा पास करता है और अफसर बनता है.

2/10

ओएमजी 2

अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म में सेक्स एजुकेशन के मुद्दे को बेहद खूबसूरती के साथ बताया गया है. इस फिल्म में यौन शिक्षा को सामान्य बनाने की बात करती है. इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी ने तारीफ के काबिल काम तो किया ही, लेकिन फिल्म के विषय को भी खूब सराहा गया.

3/10

घूमर

अगर किसी को धैर्य और दृढ़ संकल्प से प्रेरणा लेनी है, तो 'घूमर' उनके लिए है. फिल्म में शबाना आजमी, अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर और अंगद बेदी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म एक प्रेरक कथा के साथ अदम्य मानवीय भावना के प्रमाण के बारे में है. फिल्म एक युवा बल्लेबाज अनीना के बारे में है, जो इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू से एक दिन पहले अपना दाहिना हाथ खो देती है. हालांकि, वह उम्मीद नहीं खोती और अंतत: भारतीय टीम में अपनी जगह बनाती है.

4/10

ज्विगाटो

कपिल शर्मा अभिनीत और नंदिता दास द्वारा निर्देशित यह फिल्म उन संघर्षों के बारे में है, जिनसे एक निम्न-मध्यम वर्ग का व्यक्ति फूड डिलीवरी एजेंट के रूप में काम करता है. यह फिल्म इस बात पर आधारित है कि कैसे एक फूड डिलीवरी एजेंट सुबह से शाम तक अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाता है. यह फिल्म दर्शकों को इन डिलीवरी मैनों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती है.

5/10

भीड़

राजकुमार राव, कृतिका कामरा और भूमि पेडनेकर स्टारर थ्रिलर-ड्रामा, उस सबसे कठिन समय के बारे में है जिसे हर भारतीय ने कोविड के दौरान अनुभव किया है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पुलिस अधिकारी को प्रवासी श्रमिकों को सीमा पार करने से रोकने का काम सौंपा जाता है. यह फिल्म घटनाओं के जबरदस्त मोड़ पर आधारित है, जोलॉकडाउन की भयावहता और जटिलताओं को दर्शाती है.

6/10

गुलमोहर

मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर अभिनीत यह फिल्म दर्शकों के लिए एक सुखद अनुभव है. यह फिल्म बत्रा परिवार के बारे में है, जो अपने 34 साल पुराने पुश्तैनी घर को छोड़ने के लिए तैयार है. यह फिल्म अपने पुराने घर को छोड़कर एक नए घर में जाने के दौरान एक परिवार की भावनाओं और संबंधों में आए बदलाव को दर्शाती है.

7/10

जोरम

यह एक ऐसे पिता की कहानी है, जो अपने अतीत और उन ताकतों से बचने के लिए अपनी छोटी बच्ची के साथ भाग रहा है, जो उसे मरवाना चाहती हैं. देवाशीष मखीजा की फिल्म मानवीय लालच को बढ़ावा देने के खतरों पर एक परेशान करने वाली लेकिन दिलचस्प कहानी है, जिसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने एक बार फिर से शानदार काम किया है.

8/10

सिर्फ एक बंदा काफी है

यह फिल्म एक नियमित सत्र अदालत के वकील, एडवोकेट पीसी सोलंकी की पांच साल की लंबी स्टैंडअलोन लड़ाई की कहानी है, जो सच्चाई के लिए खड़े हैं. एक नाबालिग को न्याय दिलाने के लिए उनका संघर्ष इस फिल्म में दिखाया गया है. यह फिल्म सत्यघटना पर आधारित है.

 

9/10

धक धक

यह फिल्म चार ऐसी महिलाओं की कहानी है, जो बाइक पर नई दिल्ली से भारत के लद्दाख में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत दर्रे  पर पहुंचती हैं. फिल्म में रत्ना पाठक शाह, दिया मिर्जा, संजना सांघी और फातिमा सना शेख ने मुख्य भूमिका निभाई है. इस फिल्म से हर वह महिला और लड़की इत्तेफाक रखती है, जो घर से बाहर निकलना चाहती है.

10/10

कटहल

एक स्थानीय राजनेता के बेशकीमती कटहल उसके बगीचे से गायब हो गए हैं. एक युवा पुलिसकर्मी खुद को अपने पद के योग्य साबित करने के लिए इस अजीब मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश करती है. फिल्म में सान्या मल्होत्रा और विजय वर्मा के साथ-साथ बाकी किरदारों ने भी शानदार अभिनय किया है.

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