Patna: बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र (Monsoon session of Bihar Legislature) 26 जुलाई से शुरू हो रहा है. वैसे तो ये विधानमंडल के बाकी सत्र की तरह ही आम है लेकिन पिछले सत्र की हिंसक घटना को देखते हुए इसे बेहद खास माना जा रहा है. 


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बिहार में संख्याबल के लिहाज से सदन की जो स्थिति है वो बेहद करीबी है. यही वजह है कि हर बार फ्लोर मैनेजमेंट के लिए सत्ता पक्ष को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने जी बिहार-झारखंड से बातचीत में उम्मीद जताई है कि आगामी सत्र बेहतर रहेगा लेकिन सत्र वास्तव में कैसा रहेगा इसके संकेत नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने स्पीकर को लिखी अपनी चिठ्ठी और प्रेस कॉफ्रेंस करके जाहिर कर दिया है.


नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने कहा कि जिस तरह से पिछले सत्र में सदन में घुसकर पुलिस ने सदस्यों के साथ मारपीट की वो पूरे लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन था, वैसी घटना कभी नहीं घटी.


नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पूरी घटना को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को चिट्ठी लिखी है. अपने पत्र में तेजस्वी ने पूरे मामले में आरोपियों पर कार्रवाई करने की मांग दोहराई है. तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि 23 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा में जो घटना घटी वो हिंसात्मक, अलोकतांत्रिक, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.


तेजस्वी ने लिखा कि इस घटना के बाद सदस्यों को सदन में जाने से डर लगने लगा है. तेजस्वी ने लिखा है कि विपक्ष के विधायकों ने नेता विपक्ष होने के नाते उनसे ये कहा है कि सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जिससे वे बेखौफ होकर जनता से जुड़े सवाल सदन में उठा सकें. तेजस्वी ने पत्र में लिखा है कि 'लोकतंत्र के मंदिर में घटी अलोकतांत्रिक घटना पर अगर कार्रवाई नहीं हुई तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा और इससे सदस्यों का मनोबल भी बना रहेगा.'


सत्ता पक्ष ने 5 दिनों का सत्र रखा है, जाहिर है छोटी अवधि को लेकर भी विपक्ष को दिक्कत हो सकती है. इस वक्त बिहार में कई मुद्दे हैं, जैसे कोरोना के टीके की किल्लत लगातार बनी हुई है, अभी से ही बाढ़ ने अपना विकराल रूप दिखा दिया है, एसटीईटी अभ्यर्थियों पर हुए लाठी चार्ज का मुद्दा भी विधानमंडल के सत्र में देखने को मिल सकता है.


इसके अलावा, कोरोना के दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से चीजें देखने को मिली उसकी चर्चा भी उठ सकती है. इसके बावजूद फिलहाल जो सबसे बड़ा मुद्दा है वो ये है कि क्या विपक्ष पहले की तरह सदन की कार्यवाही में शामिल रहेगा या फिर इस बार 1-2 दिन तक विपक्ष सदन की कार्यवाही का बहिष्कार भी करेगा? ऐसा भी हो सकता है कि पिछली बार की घटना को लेकर सदन हंगामे की भेंट चढ़ जाए.


समस्या मुद्दों की नहीं है, बिहार में एक नहीं कई मुद्दे हैं. असल समस्या है कि क्या बिहार विधानसभा में बहस मुद्दों पर होगी या फिर विधानसभा का मॉनसून सत्र पिछले सत्र में हुई हिंसा की भेंट चढ़ जाएगा. अभी तक विपक्ष ने अपने तेवर नरम नहीं किए हैं और सरकार ने इस मामले पर रूख स्पष्ट नहीं किया है. ऐसे में ज़ाहिर है कि सदन तभी चलेगा जब पक्ष और विपक्ष दोनों दो-दो कदम पीछे हटेंगे.



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