Chander Parkash Kathuria: मजदूरी से लेकर एक कंपनी के मालिक बनने तक की चंद्रप्रकाश कथूरिया की संघर्ष भरी कहानी
Chander Parkash Kathuria Success Story: कर्णा कंस्ट्रक्शन के मालिक चंद्र प्रकाश कथूरिया ने जीवन में कुछ करने के लिए मजदूरी से लेकर राजमिस्त्री तक का काम किया और आज उनकी मेहनत ही है, जो उन्हें एक सफल फर्म का मालिक बना दिया.
Chander parkash Kathuria struggle story: कहते हैं ना कि जो कुछ करने की ठान ले तो उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं रहता है, फिर चाहे मुसीबतों का पहाड़ ही क्यों ना आ जाए. ऐसी ही कहानी कर्णा कंस्ट्रक्शन के मालिक चंद्र प्रकाश कथूरिया (Chander Parkash Kathuria) की है. उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे. कभी पैसों की तंगी के कारण छोटे भाई की जान नहीं बचा पाए थे. जीवन में कुछ करने के लिए उन्होंने मजदूरी से लेकर राजमिस्त्री तक का काम किया और आज उनकी मेहनत ही है, जो उन्हें एक सफल फर्म का मालिक बना दिया. अब वो कर्णा कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक हैं. ऐसे में आपको उनके बारे में बता रहे हैं...
चंद्र प्रकाश कथूरिया (Chander Parkash Kathuria) का जन्म हरियाणा के जिला करनाल के छोटे से गांव शेखपुरा सुहाना के पंजाबी खत्री परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री शंकर दास कथूरिया था, जो पेशे से किसान थे और जमीदारीं करने का काम करते थे. चन्द्र प्रकाश कथूरिया के पिता सहज स्वभाव के उच्च विचारों के धनी व्यक्ति थे. अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर नेक व्यक्ति बनाना चाहते थे. इनकी माता का नाम श्रीमती शीलारानी है, जो एक गृहणी थीं.
कई केसों में अलग-अलग न्यायपालिका में पेशी के लिए भी उन्हें जाना पड़ता है और मानवता की भलाई के लिए मन से रुका ना जाता और चंद्र प्रकाश कथूरिया (Chander Parkash Kathuria) फिर से मददगार की मदद के लिए पहुंचते हैं. अब एक वकील दोस्त के कहने पर 17 लोगों ने मिलकर देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील की. फलस्वरूप देश के सभी नागरिकों के लिए एक फैसला आया कि सड़क पर पड़े किसी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने पर ना कोई केस होगा, बल्कि उसका सम्मान किया जाएगा और सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में लोगों की जान बचने की संख्या बहुत ही बढ़ गई.
साल 2006 में जगह लेकर घर बनाकर बेचना शुरू किया. थोड़ी जगह लेकर उस पर बिल्डिंग बनाने का काम किया. करनाल के सेक्टर 32 स्थित रॉयल रेजीडेंसी में साल 2012 में बतौर बिल्डर की एक सोसाइटी का निर्माण करने का अवसर मिला, जो आज सफलता पूर्वक सौ से अधिक परिवारों के साथ चल रही है और आगे भी दो सौ परिवारों के लिए नए घर बन रहे हैं.