Hyper Sentimental Love: हर एक इंसान इमोशंस से भरा हुआ है जिसमें गुस्सा, खुशी, शोक और आश्चर्य समेत कई तरह की भावनाएं शामिल है. भावनाएं ही इंसान को जानवर से अलग बनाती हैं. जब कोई इंसान अपने इमोशंस के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचता है तो वह इसे आम व्यवहार से बिल्कुल अलग होकर दिखाता है. प्यार भी इन्हीं इमोशंस का एक हिस्सा है जिसमें पड़ने वाले कपल्स कई बार ऐसी हरकत करते हैं जो किसी दूसरे को बेहद हास्यासपद लगता है. अक्सर आपने कुछ कपल्स को एक-दूसरे को बाबू-सोना-जानू कहते हुए सुना होगा. क्या आप जानते हैं ऐसा कोई क्यों करता है?


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बाबू-सोना-जानू का जवाब


कपल्स का एक दूसरे को बाबू-सोना-जानू कहकर संबोधित करने के सवाल पर मशहूर शिक्षक डॉ विकास दिव्यकीर्ति (Vikas Divyakirti) ने जवाब दिया है. डॉ विकास दिव्यकीर्ति यूपीएससी (UPSC) की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को पढ़ाते हैं और वह कहते हैं कि जब इंसान भाव प्रेरित वक्रता से घिरा होता है, तब वह ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करता है. भाव प्रेरित वक्रता में जब कोई इंसान होता है, तब वह सीधे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचता है और ऐसे टेढ़े-मेढ़े शब्दों का यूज करता है. डॉ विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि बहुत अधिक सेंटिमेंटल होने पर इंसान सीधा बोलने से बचता है और मुंह से कभी सीधी बात निकलती भी नहीं है.


क्या होती है वक्रता?


आपको बता दें कि वक्रता दो तरह की होती है. पहली भाव प्रेरित वक्रता और दूसरी बुद्धि प्रेरित वक्रता. वक्रता में आप सीधे बातों को बोलने से बचते हैं. जब कोई शख्स तीव्र सेंटिमेंटल होता है, तब वह अपनी बात भाव प्रेरित वक्रता के साथ कहता है. इस दौरान आम शब्द उतने प्रभावशाली नहीं होते हैं जितने अल्टरनेटिव शब्द कारगर होते है. यह भाव प्रेरित वक्रता केवल कपल्स ही नहीं बल्कि दूसरे रिश्तों में भी काम करती है. इसी भाव के उच्चतम स्तर पर जाकर एक मां अपने बेटे को राजा बेटा कहती है. वहीं एक बाप अपनी बेटी को गुड़िया रानी कहता है. कविता और कहानी में भी कवि या लेखक इन भावों का इस्तेमाल करते हैं और सीधे शब्दों के बजाए प्रभावी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.