नई दिल्ली: घर का प्रवेश द्वार हमारी शान-शौकत का आईना होता है. ऐसे में हमें उसे बनवाते समय न सिर्फ सुंदरता बल्कि वास्तु नियमों का भी खास ध्यान रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी घर के मुख्य प्रवेश द्वार काफी मायने रखता है क्योंकि यही वो जगह होती है जहां से आपके घर के भीतर तरक्की, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा आती है. मुख्य प्रवेश द्वार से ही माता लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है. 


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वास्तु के अनुसार गृहमुख कहे जाने वाले इस स्थान को हमेशा सुंदर और साफ-सुथरा बनाए रखना चाहिए. यदि आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते और वहां पर किसी भी प्रकार का वास्तुदोष है तो निश्चित मानिए इसी प्रवेश द्वार से आपके यहां तमाम तरह की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आने लग जाएंगीं. आइए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार आखिर कहां और कैसा होना चाहिए हमारे मकान का प्रवेश द्वार—


1. घर के मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व अथवा दक्षिण-पूर्व की ओर होना अत्यंत शुभ माना गया है. भूलकर भी मकान के मुख्य द्वार को दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनवाना चाहिए.


2. घर के मुख्य द्वार को हमेशा एक शुभ मुहूर्त में ही लगवाना चाहिए.


3. मुख्य द्वार की ऊंचाई उसकी चौड़ाई की दुगुनी होनी चाहिए.


4. घर का मुख्य द्वार मकान के भीतर बने अन्य दरवाजों के मुकाबले अधिक ऊंचा होना चाहिए.


5. यदि आपके घर के मुख्य द्वार पहले से बना हुआ है और उसका ऊंचाई कम है तो आप इस दोष के निवारण के लिए मुख्यद्वार के दोनों तरफ ऊंचाई पर धार्मिक झंडे लगा सकते हैं. झंडों को इतनी ऊंचाई पर लगाएं कि दरवाजे की चौड़ाई के मुकाबले ऊंचाई दुगुनी हो जाए.


6. घर का मेन गेट कभी भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए और न ही उसके खुलने-बंद होने पर किसी भी प्रकार की बाधा या आवाज आनी चाहिए.


7. घर के प्रवेश द्वार पर हमेशा बेहतर प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए.


8. मुख्य प्रवेश द्वार के सामने कोई बड़ा पेड़, दीवार, खंडहर, दीवार आदि नहीं होना चाहिए. यदि आपके घर के सामने पेड़ या खंबा हो तो ऐसे वास्तुदोष को दूर करने के लिए अष्टको​णीय दर्पण लगाएं.


9. घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के पत्तों की माला का तोरण द्वार बनाकर बांधना चाहिए. साथ ही प्रवेश द्वार पर माता लक्ष्मी के पैर, दीवारों पर स्वा​स्तिक, शुभ लाभ लिखना भी मंगलकारी होता है.


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