Mahakumbh 2025 Panch Dashnam Avahan Akhada: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. यह महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा. इस दौरान छह शाही स्नान आयोजित होंगे, जो क्रमशः 13, 14, 29 जनवरी और 3, 12, 26 फरवरी को होंगे. महाकुंभ के दौरान अखाड़ों का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं काशी के प्रसिद्ध श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े का इतिहास और उद्देश्य.


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आवाहन अखाड़े का इतिहास और उद्देश्य


काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्थित श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा छठी शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था. यह अखाड़ा सनातन धर्म की रक्षा और लोगों को धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने के लिए जाना जाता है.


आवाहन आखाड़े को पहले "आवाहन सरकार" के नाम से जाना जाता था. इस अखाड़े का मुख्य उद्देश्य हमेशा से धर्म की रक्षा करना रहा है. आज भी यह अखाड़ा धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए हुए है और जहां भी धर्म की आवश्यकता होती है, वहां नागा साधु उपस्थित रहते हैं.


आधुनिक समय में अखाड़े की स्थिति


वर्तमान समय में परिस्थितियों के अनुसार कुछ बदलाव हुए हैं. प्राचीन समय में धर्म की जो मांग थी, वह आज से अलग थी, लेकिन नागा सन्यासी तब भी धर्म की रक्षा के लिए तत्पर थे और आज भी हैं.आधुनिकता का नागा साधुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. अखाड़े का उद्देश्य और सिद्धांत आज भी पारंपरिक हैं. साथ ही यह आधुनिक साधनों से दूर रहता है.


ऐसे होता है अखाड़े में पदों बंटवारा


अखाड़े में पदों का एक विशेष क्रम और उनकी जिम्मेदारियां निर्धारित होती हैं-


श्री महंत- सबसे वरिष्ठ पद
अष्ट कौशल महंत- मुख्य सहायक
थानापति- अखाड़े के प्रबंधक, जिनके अधीन दो पंच होते हैं- रमता पंच और शंभू पंच.
पांच सरदार- भंडारी, कोतवाल, कोठारी, कारोबारी और पुजारी महंत जो अखाड़े के संचालन और पूजा-पाठ के कार्यों को संभालते हैं.


अखाड़े में शामिल होने के नियम क्या-क्या हैं


इस अखाड़े का हिस्सा बनने के लिए व्यक्ति को गुरु की सेवा में शुद्ध मन से समर्पित होना पड़ता है. इसमें सांसारिक सुखों का त्याग और ईश्वर की भक्ति में पूर्ण रूप से लीन होना अनिवार्य है. नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन और तपस्या से भरी होती है.


कैसे दिया जाता है प्रशिक्षण


नागा साधुओं को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया जाता है. ये साधु कभी भिक्षा नहीं मांगते बल्कि सिर्फ श्रद्धालुओं द्वारा दी गई वस्तुएं ही स्वीकार करते हैं.बहुत से लोग इस कठिन मार्ग को आधे में ही छोड़ देते हैं लेकिन जो अंत तक इस तपस्या को निभाते हैं, वे ही नागा साधु बन पाते हैं.


महाकुंभ में अखाड़ों का महत्व


महाकुंभ में अखाड़े अपनी परंपराओं और प्रतिभाओं का प्रदर्शन करते हैं. यह धार्मिक आयोजन अखाड़ों के लिए न केवल उनकी संस्कृति का निर्वहन करने का अवसर है, बल्कि समाज को धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश देने का भी माध्यम है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)