What To Do In Ashad Month: हिंदू शास्त्रों में हर दिन, हर माह का अपना अलग महत्व बताया गया है. बता दें कि हर माह किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. उस माह में की गई उनकी पूजा-अर्चना भक्तों को विशेष फल प्रदान करती है. 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद 23 जून से नए माह आषाढ़ माह की शुरुआत हो रही है और 21 जुलाई तक आषाढ़ माह रहेगा. 


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धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक आषाढ़ का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. इस माह में ही भगवान विष्णु 4 माह के लिए निद्रा योग में चले जाते हैं. आषाढ़ माह में ही देव शयनी एकादशी पड़ती है. शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद से शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इस माह में श्री हरि का पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है. जानें कब से शुरू होगा आषाढ़ माह और इस माह में क्या करें और क्या नहीं. 


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कब से शुरू होगा आषाढ़


हिंदू पंचांग के अनुसार 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के अगले दिन यानी 23 जून से आषाढ़ माह की शुरुआत होरही है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार ये साल का चौथा महीना होता है. इसका समापन 21 जुलाई को होगा. इस पूरा माह भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, इस माह में श्री हरि की पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है. 


आषाढ़ माह में क्या न करें


- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ माह में शादी, विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. 


- इतना ही नहीं, इस माह में बासी खाना खाने की भी मनाही होती है. 


- ज्योतिष शास्त्र में आषाढ़ माह में जल का अपमान करना भी अशुभ बताया गया है. ऐसे में पानी को बर्बाद न करें. संभव हो तो इस माह में ज्यादा से ज्यादा पानी का दान करें. 


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- शास्त्रों के अनुसार इस माह में तामसिक भोजन जैसे शराब , मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. 


रखें इन बातों का ध्यान


- शास्त्रों में आषाढ़ माह का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह में तर्पण, स्नान और दान आदि करना शुभ माना गया है. इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. 


- इस माह में पूजा-पाठ और हवन आदि करना भी शुभ माना गया है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)