Astrological Remedies: जन्म कुंडली के माध्यम से ही रोगों का पता लगाया जा सकता है. ग्रहों का कॉम्बिनेशन और रोग देने वाले ग्रहों का अशुभ स्थान में बैठना या फिर अशुभ ग्रहों के साथ आ जाने से व्यक्ति को गंभीर रोग हो सकते हैं. कुंडली में कुछ योग ऐसे भी होते है जो रोग उत्पन्न करने लगते हैं. हृदय पर कर्क और सिंह राशियों का नियंत्रण अधिक देखा जा सकता है क्योंकि उनके स्वामी चंद्र देव और सूर्य देव हैं जो व्यक्ति की हृदय गति और रक्त को नियंत्रित करते हैं. कुंडली में चतुर्थ स्थान हृदय का है, ऐसे में इस स्थान पर क्रूर ग्रह का कुप्रभाव देना और यदि कुंडली में सूर्य और चंद्र पीड़ित हो जाए तो भी हृदय रोग का जन्म होता है.


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सूर्य की इस स्थिति से होता है हृदय रोग


 


सूर्य, चंद्रमा, गुरु और मंगल इन ग्रहों का आपस में तालमेल और कुंडली के अनुसार नकारात्मक प्रभाव में आने से यह व्यक्ति को हृदय रोग से ग्रसित करते हैं. यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि गुरु और सूर्य चौथे स्थान पर बैठ जाएं, तो व्यक्ति को हृदय रोग से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सूर्य, मंगल का चतुर्थ भाव में एक साथ आ जाना या फिर इस स्थान पर नीच का हो जाना हृदय संबंधित रोगों का अंदेशा होता है.


 


इन उपायों से पाएं निजात


 


  • जिन लोगों की कुंडली में ऐसी स्थिति है, उन्हें शुरुआत से ही अपनी दिनचर्या को बहुत ही नियमित बनाकर रखना चाहिए सुबह जल्दी उठना चाहिए. 

  • सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सरल उपाय उन्हें नियमित जल का अर्घ्य दें. ओम सूर्याय नमः का जाप करें.

  • मंगलवार का व्रत करें और हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें. इसी के साथ मंगलवार के दिन गाय को गुड और रोटी खिलाए.

  • वजन पर कंट्रोल रखना चाहिए यदि आप बहुत तले भुने भोजन के शौकीन है, तो खान-पान पर कंट्रोल बनाएं रखें.

  • अनावश्यक चिंताओं को खुद से दूर रखना चाहिए, जो लोग छोटी-छोटी बात को लेकर परेशान हो जाते हैं वह हंसी मजाक को बढ़ा दें अब जितना प्रसन्न रहेंगे, आप चिंताओं से उतनी जल्दी मुक्ति पा सकेंगे.