Chandra-Guru Yuti: चंद्रमा व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित करता है, इन सभी में मन पर इनका अधिकार पूर्ण रूप से होता है. कुंडली में लग्न और राशि यह दोनों व्यक्ति का आधार मानी जाती है, जिसका संबंध मन और आत्मा से है. चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी होते हैं. स्वभाव से यह जलीय राशि होने के कारण चंद्रमा जिस राशि या जिस ग्रह के साथ मिक्स हो जाए वह उसके स्वभाव और प्रभाव के अनुसार कार्य करने लगता है. चंद्रमा का अन्य ग्रहों के साथ का प्रभाव अलग-अलग होता है. आइए जानते हैं कुंडली में चन्द्रमा यदि देवताओं के गुरु बृहस्पति के साथ युति बन जाए तो इस तरह से परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.


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चंद्रमा के साथ गुरु की युति


 


गुरु ग्रह को संस्कार प्रधान माना जाता है, गुरु ग्रह के संपर्क में आकर चंद्रमा गुरु के स्वभाव के अनुसार कार्य करने लगता है. गुरु स्वयं गुरु और ज्ञान के कारक हैं. वह तो ज्ञान बांटने वाले हैं. जिन लोगों की कुंडली में चंद्र गुरु के साथ मिल जाते हैं वह लोग भी ज्ञान बांटने वाले होते हैं. यह आत्मबल से बलवान होते हैं. चंद्रमा और गुरु एक साथ होने पर गजकेसरी योग का निर्माण होता है, इस योग का प्रभाव व्यक्ति को गज के समान प्रभावशाली बनाता है. गुरु के सानिध्य में चंद्रमा होने से मन संस्कारित और मजबूत रहता है. 


 


अहंकार की भावना


 


गुरु के साथ मन होने से मन में भटकाव की स्थिति नहीं रहती है और मन सही दिशा की ओर ही प्रेरित होता है. एक बात और ध्यान देने वाली है कि गुरु व्यक्ति में अहम का भाव पैदा कर सकते हैं, यदि आप किसी विषय में महारत प्राप्त कर लेते हैं तो आप में अहंकार आने की संभावना बढ़ जाती है. जिससे हर हाल में बचने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अहंकार ही मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है. गुरु का साथ पाकर चंद्र ज्ञान देते ही हैं, लेकिन व्यक्ति को स्वयं भी ज्ञानार्जन की दिशा में प्रेरित रहना चाहिए.