Ganesh Visarjan 2024: गणपति बप्‍पा को विदाई देने का समय आ गया है. 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होता है. नदी, तालाब, समुद्र में गणपति की मूर्ति विसर्जित की जाती है. कई लोग घर पर ही या सार्वजनिक स्‍थानों पर बने जलकुंडों में गणेश जी की मूर्ति विसर्जित करते हैं. जिस तरह गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति की स्‍थापना पूरे विधि-विधान से की जाती है और 10 दिन तक उनकी सेवा, पूजा-उपासना की जाती है, वैसे ही उनका विसर्जन भी पूरे सम्‍मान और विधिवत तरीके से करना जरूरी है. जानिए गणेश विसर्जन के समय किन बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है. 

 


 

गणपति विसर्जन के समय इन बातों का रखें ध्‍यान 

 

- गणेश विसर्जन के लिए जाने से पहले घर में गणेश जी की आरती करें, उन्‍हें भोग लगाएं. उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें. 

 

- गणेश विसर्जन के लिए जाते समय ध्‍यान रहे कि मूर्ति का मुख घर की ओर और पीठ घर से बाहर की ओर हो. धार्मिक मान्‍यता है कि गणेश जी की पीठ के पीछे दरिद्रता का वास होता है. घर की ओर पीठ करने से घर में गरीबी छा जाती है. घर में नकारात्‍मकता, कंगाली, कलह बढ़ती है. लिहाजा गलती से भी गणेश जी की पीठ घर की ओर ना करें. 

 


 

- शुभ मुहूर्त में ही गणपति बप्‍पा को विदा करें. भद्रा काल में घर से गणेश जी की विदाई ना करें. 

 

- गणेश विसर्जन स्‍थल पर पहुंचकर गणेश जी को चौकी या आसन पर सम्‍मान से विराजमान करें. उनको अक्षत, हल्‍दी, कुमकुम से तिलक लगाएं. दीपक जलाएं, भोग लगाएं, आरती करें. सभी को प्रसाद बांटें. इसके बाद ही गणपति विसर्जन करें. 

 

- गणेश विसर्जन करते समय गणपति बप्‍पा मोरया के जयकारे लगाए. फिर पानी में धीरे-धीरे पूरे सम्‍मान के साथ मूर्ति विसर्जित करें.

 


 

- यदि घर पर विसर्जन कर रहे हैं तो पात्र और पानी दोनों साफ हो यह सुनिश्चित करें. मूर्ति विसर्जन के बाद उस जल को पीपल के वृक्ष के नीचे या गमले में डाल दें.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैNEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)