Jyotish Shastra: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है तो वहींचंद्रमा को ग्रहों की रानी.  सूर्य को स्वभाव में उग्र माना जाता है और चंद्रमा को चंचल और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. यह दोनों ही ग्रह आत्मा और मन के कारक माने जाते हैं. यही कारण है कि सूर्य और चंद्रमा की संगत होते ही मन विचलित होने लगता है, मन स्थिर नहीं रहता है. 


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कैसा होता है सूर्य और चंद्रमा का असर?


 


ऐसा व्यक्ति एक जगह नहीं ठहर पाता है और कभी कुछ करने की इच्छा होती है, तो कभी मन उसी काम करने से भागने लग जाता है. मन किसी एक काम को पूरा होने का इंतजार नहीं कर पाता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में ऐसी स्थिति होती है वह जल्दी में रहते हैं. कभी-कभी जल्दबाजी में निर्णय भी ले लेते हैं. 


 


व्यक्ति खुद को समझने लगता है राजा


 


चन्द्रमा के साथ सूर्य वाला व्यक्ति खुद को राजा के समान सर्वश्रेष्ठ समझने लग जाता है. देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति कूटनीतिज्ञ तो होते हैं. हर समय उनमें मन ही मन श्रेष्ठ बनने की भावना बनी रहती है, दूसरों के बीच यह वाहवाही बटोरना चाहते हैं. राजा जैसी प्रवृत्ति होने के चलते यह किसी को अपना मित्र नहीं बना पाते और इनके जो मित्र भी होते हैं उनसे याराना कम ही रखते हैं. लाइफ स्टाइल एक अहंकारी राजा के समान होती है. 


 


खूद को आगे रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं


 


पढ़ाई, करियर एवं व्यापार में यदि यह अच्छा गोल प्राप्त कर लें तो उसका तमका लेकर जीवन भर चलते हैं. सूर्य का तेज अधिक होता है, इसलिए यह अपनी कॉलर को सफेद रखने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. खुद को आगे रखने की होड में इनका दूसरे लोगों से बात-बात पर टकराव भी हो जाता है.


 


करें ये उपाय


 


जीवन में नकारात्मकता और अनावश्यक ही अहंकार की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को चंद्रमा के उपाय करने चाहिए. मां के सानिध्य में रहना, ज्योत्सना (चन्द्रमा की किरण) का स्नान करना. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)