Kharab Ketu Ke Lakshan: राहु और केतु का नाम सुनते ही तनाव होने लगता है.  राहु केतु दोनों का स्वभाव एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत होता है. राहु केतु दोनों ही छाया ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं.  केतु ग्रह के प्रभाव किस प्रकार होते हैं, केतु के कोप से कैसे बचें. केतु रहस्यमय एनर्जी का कारक होता है, इसे गुप्त एनर्जी वाला माना जाता है. जो लोग इसके प्रभाव में आ जाते हैं, यानी जिनका केतु नकारात्मक होता है वह लोग बहुत जल्दी अपना दुख किसी से अभिव्यक्त नहीं करते हैं और अंदर ही अंदर घुलते जाते हैं. इनकी एक और खास बात होती है, कि यदि यह किसी बात को गहराई से ले लें यानी माइंड कर जाएं तो उसी बात के बारे में सोचते रहते हैं और सोचते-सोचते अचानक ही किसी दिन इनके अंदर का सारा गुबार निकल आता है. यहां तक कि पुरानी से पुरानी बातें याद कर माहौल को खराब करने के कार्य करते हैं. 


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शरीर में रोग के रूप में दिखता है असर


केतु महाराज जब शरीर पर प्रभाव डालते हैं तो कई तरह के रोग पैदा होने लगते हैं. मानसिक रूप से रोग को लेकर बहुत दबाव बनाते हैं. पेट में दिक्कत होती है जिसको लेकर मन हर समय अपने रोग के बारे में अति चिन्तन कराता रहता है. आंतों से संबंधित दिक्कत और कब्ज अधिक रहता है. यदि आंत साफ रहे तो केतु के कुप्रभाव को कम किया जा सकता है.   पैरों के तलवे में दर्द हो सकता है.  किसी तरह की दुर्घटना में कट लगने से शरीर को नुकसान पहुंचा सकते है. 


केतु करते हैं कॉम्प्लिकेट


केतु किसी भी सरल बात को जटिल करने में सक्षम होते हैं. यदि केतु से संबंधित समय चल रहा हो तो किसी से विवाद नहीं करना चाहिए. बिना बात के बतंगड़ बनने में समय नहीं लगता है. छोटी-छोटी बातों को तूल नहीं देना चाहिए. घरेलू कलह से बचकर रहना चाहिए. छोटी-छोटी बातें दिल में चुभ सकती हैं. आपका वाहन कभी खराब हो जाए तो कोई बात नहीं लेकिन यदि यह लगातार खराब हो रहा है तो सतर्क हो जाना चाहिए. 


केतु करें कुल वृद्धि


जिन लोगों को संतान की अभिलाषा होती है, उनके लिए केतु शुभ समाचार लेकर आते हैं. कुल में वृद्धि होती है. गर्भावस्था में थोड़ी सजगता रखनी चाहिए. स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही नहीं रखनी चाहिए. गर्भवती महिलाओं को  बच्चे की मूवमेंट का ध्यान रखना चाहिए.  


इन उपायों को करने से मिलता है लाभ


कुंडली में केतु की खराब स्थिति में ऊपर बताए गए लक्षण दिखने लगते है, ऐसे में इसके कुप्रभाव को कम करने के लिए आपको तुरंत श्री गणपति की शरण में जाना चाहिए. गणपति उपासना से केतु महाराज प्रसन्न होते हैं. चतुर्थी तिथि पर गणपति जी का पूजन, भोग के साथ दूर्वा अर्पित करनी चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)