Margashirsha Purnima 2023: बेहद प्रिय हैं श्री हरि को ये चीजें, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इन चीजों का भोग लगाते ही दिखेगा चमत्कार
Margashirsha Purnima bhog: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. यह हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन मनाया जाता है. साल के आखिरी महीने का मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज यानि कि मंगलवार को है. इस दिन गंगा स्नान कर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा और व्रत की जाती है.
Margashirsha Purnima 2023: साल के आखिरी महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन मनाया जाने वाला पूर्णिमा आज है. हिंदू धर्म में इस पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जानते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से व्रत रख कर पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का विधान होता है. इस दिन भगवान विष्णु को पूजा के दौरान विशेष भोग लगाए जाते हैं. ऐसा करने से भगवान विष्णु खुश हो कर भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं. आइए विस्तार में जानते हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किन किन चीजों का भोग भगवान श्रीहरि को लगाना चाहिए.
जानें मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किन चीजों का लगाएं भोग
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान श्री हरी के साथ माता लक्ष्मी को भी खीर का भोग लगाएं. ध्यान रखें कि उनके भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा करने से भगवान श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की भी सदैव कृपा बनी रहती है.
संकट को दूर करने के भोग
यदि व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन से हर प्रकार के संकट दूर रहे तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को विशेष रूप से पानी वाले नारियल का भोग लगाएं. नारियल और खीर के अलावा भक्त फल और मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं. इससे भक्त के जीवन में सुख और शांति बनी रहती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहने. अब भगवान सूर्यदेव को जल अर्घ्य देने के बाद व्रत का संकल्प करें. मंदिर की सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें. अब एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और इस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. जिसके बाद दीपक जलाकर फूल, सिंदूर, फल, रोली, मेवा और पंचामृत अर्पित करें. अब सत्यनारायण की कथा का पाठ करें. अब आरती कर के भोग लगाएं और अंत में सभी को प्रसाद बाटें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)