Rules for Hoisting the Flag in Sadhu Akharas: पीएम मोदी आज प्रयागराज महाकुंभ में करीब 6 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए प्रयागराज पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कई मंदिरों के दर्शन भी किए और कुंभ में भाग ले रहे अखाड़ों के साधु-संतों से मुलाकात की. इसके साथ ही संगम नगरी प्रयागराज में लगने जा रहे महाकुम्भ में अखाड़ों की छटा अब सामने आने लगी है. वैसे तो महाकुंभ की शुरुआत अगले साल 13 जनवरी से होगी लेकिन संगम तट पर अभी से अखाड़ों की धर्म ध्वजा महाकुंभ क्षेत्र में लहराने लगी है. 


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अखाड़े के मध्य में स्थापित होती है धर्म ध्वजा


धार्मिक विद्वानों के अनुसार, इन धर्म ध्वजाओं को अखाड़ों में शिविर निर्माण से पहले ही स्थापित किया जाता है.. सनातन संस्कृति के ध्वजा वाहक 13 अखाड़ों की धर्म ध्वजा का खास महत्व है. अखाड़े के शिविर के मध्य में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजा के साथ इष्टदेवता को स्थापित किया जाता है. जो सबसे पवित्र स्थल माना जाता है.


गलती होने पर ध्वजा के नीचे करते हैं प्रायश्चित


विधिवत वैदिक कर्मकांड के साथ में आचार्य की ओर से पंडित ने मंत्रोचारण किया, जिसके बाद ध्वजा फहराई गई. रमता पंथ के चारों मणियों के चारों श्रीमंत की ओर से यज्ञ विधिवत भूमि पूजन के बाद धर्म ध्वजा स्थापित की जाती है, इसका मतलब ये है कि अब यहां से कुंभ का आगाज हो गया. 


अखाड़े के संतों को धर्म ध्वजा का झुकना स्वीकार नहीं है. किसी संत से जाने अनजाने में अगर कोई गलती हो जाती है तो वो इसके लिए प्रायश्चित इसी ध्वजा के नीचे करता है. धर्म ध्वजा स्थपित करने से पहले मुहुर्त का खास ध्यान रखा जाता है. 


स्थापना से पहले देखा जाता है मुहूर्त-नक्षत्र


श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के महंत रवींद्र पुरी ने बताया, धर्म ध्वजा स्थापित करने से पहले हम देखते हैं कि उस समय मुहूर्त कैसा है, ग्रह नक्षत्र कैसे हैं और किसके नाम पर किया जाए. यह सब देखने के बाद फिर धर्म ध्वजा स्थापित करने का काम शुरू किया जाता है. 


धार्मिक विद्वानों के अनुसार अखाड़ों में लहराती ध्वजा उनके वर्चस्व, प्रतिष्ठा, बल और इष्टदेव का प्रतीक है.. ये राजा का विशेष चिह्न भी माना जाता है, जिसकी प्रतिष्ठा के लिए अखाड़े हर संभव प्रयास करते हैं.. महाकुंभ में पेशवाई से पहले सभी अखाड़ों ने अपने शिविर में शुभ मुहूर्त और शुभ दिन पर धर्मध्वजा स्थापित कर ली.