Shani Ki Sadhesati Aur Dhaiya Hatane ke Upay: शनि देव को कर्मफल का प्रदाता कहा जाता है. वे किसी के भी सगे नहीं हैं और न ही बुरे हैं. वे मनुष्यों के कर्मों के अनुसार उसे उचित प्रतिफल प्रदान करते हैं. यही वजह है कि उनका स्वभाव थोड़ा निष्ठुर है. जब किसी व्यक्ति पर शनि भारी होते हैं तो उसे शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या कहते हैं. दोनों पढ़ने में भले ही एक जैसी लग रही हों लेकिन दोनों में बहुत अंतर है. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं. 


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शनि की साढ़ेसाती कब होती है?


ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक जब कुंडली में शनि की स्थिति जन्म राशि से 12वें भाव में होती है. इसके बाद पहले भाव और आखिर में दूसरे भाव में हो जाती है तो उसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं. यह एक अशुभ स्थिति होती है और जातक को इसका प्रभाव लगभग 7.5 वर्षों तक झेलना पड़ता है. इससे उसे स्वास्थ्य, धन-समृद्धि, नौकरी, कारोबार, सम्मान, प्रमोशन, सेहत हर चीज में नुकसान उठाना पड़ जाता है. 


शनि की ढैय्या कब चढ़ती है?


ज्योतिषियों के मुताबिक जब कुंडली में शनि की स्थिति जन्म राशि से 4वें या 8वें भाव होती है तो उसे शनि की ढैय्या कहते हैं. इसका प्रभाव जातक पर करीब ढाई साल तक बना रहता है. इस वजह से वह जीवन में पर्याप्त तरक्की नहीं कर पाता और कई तरह के नुकसान झेलता है. उसे स्वास्थ्य, पैसे, करियर में दिक्कतें पेश आती हैं. उसके काम अटकने लगते हैं. 


शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में अंतर


अगर दोनों में अंतर की बात की जाए तो शनि की साढ़ेसाती लंबे वक्त तक जातक को परेशान करती है. इसका प्रभाव 7.5 वर्ष तक रहता है. वहीं शनि की ढैय्या 2.5 साल में हट जाती है. जिसके बाद मनुष्य के फिर से सुनहरे दिन शुरू हो जाते हैं. 


शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या हटाने के उपाय


अगर किसी जातक को शनि की साढ़ेसाती परेशान कर रही हो तो उसे हर शनिवार को हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. साथ ही शनि मंदिर में जाकर काले तिल और वस्त्र दान करें. इसके अलावा वहां बैठकर शनि मंत्रों का जाप करें. कुछ देर शांत चित्त में बैठकर भगवान शिव की आराधना करें और उनसे अपने दुख हरने की प्रार्थना करें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)