Shani Upay: हिंदू धर्म में पेड़ पौधों को भी देव स्वरूप माना जाता है, इन्हीं में से एक पीपल का पेड़ भी है. प्राचीन ऋषियों ने इन पेड़ों की पूजा का प्रावधान भी शायद इसलिए किया होगा क्योंकि वह जानते थे कि ये पेड़ सेहत का खजाना भी हैं. पीपल का पेड़ सर्वाधिक ऑक्सीजन बनाने का काम करता है, इसलिए अस्थमा के मरीज जिन्हें अत्यधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है, इस पेड़ के नीचे कुछ देर रहने के लिए कहा जाता है. प्राकृतिक रूप से तो पीपल के पेड़ का महत्व है ही, शनिदेव के कोप से बचने के लिए भी पीपल के पेड़ का उपयोग किया जाता है. 


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करें ये उपाय


किसी की कुंडली में शनिदेव के नाराज होने पर पीपल के वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीया जलाकर रखने और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से उनकी नाराजगी को कम किया जा सकता है. 


 


पढ़ें पौराणिक कथा


मां लक्ष्मी की बड़ी बहन का नाम है ज्येष्ठा लक्ष्मी जो पीपल की पत्नी भी है. एक बार ज्येष्ठा लक्ष्मी उदास बैठी थीं तो मां लक्ष्मी ने उनसे इस उदासी का कारण पूछा. बहुत पूछने पर उन्होंने बताया कि तुम्हारे पति विष्णु जी की तीनों लोकों में पूजा होती है लेकिन मेरे पति पीपल को कोई नहीं पूछता है. उन्होंने इस पर अपनी बड़ी बहन को आश्वस्त किया कि इस बात को लेकर तुम दुखी न हो. अब से हर शनिवार को मैं स्वयं ही पीपल के वृक्ष पर रहूंगी और जो व्यक्ति इस दिन पीपल के वृक्ष को संचित कर विधिवत पूजा करेगा और यहां पर दीपदान करेगा मैं उसे समस्त प्रकार का वैभव प्रदान करूंगी. 


 


मां लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न


मान्यता है कि तभी से पीपल के पेड़ की पूजा करने से जहां एक शनिदेव की रुष्टता कम होती है वहीं मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को धन संपदा के रूप में इच्छित फल प्रदान करती हैं.