देश का एकमात्र सीता मंदिर: इस समय घर-घर से लेकर गली-चौराहे हर जगह सिर्फ राम मंदिर की चर्चा है. वहीं अयोध्‍या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा की तैयारियां चरम पर हैं. पूरा देश और दुनिया में फैले राम भक्‍तों को बेसब्री से 22 जनवरी 2024 का इंतजार है, जब इस नवनिर्मित भव्‍य मंदिर में प्रभु राम विराजेंगे. वहीं हाल ही में देश के एकमात्र ऐसे मंदिर में माता सीता की मूर्ति की पुनर्स्‍थापना की गई है, जहां माता सीता की मूर्ति तो है लेकिन प्रभु राम की नहीं. आइए जानते हैं कि ये अनूठा सीता मंदिर कहां है और इस मंदिर में केवल माता सीता की मूर्ति होने की क्‍या वजह है? 


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महाराष्‍ट्र में है सीता मंदिर 


यह सीता मंदिर यवतमाल जिले के रालेगांव से 3 किमी दक्षिण में स्थित गांव रवेरी में है. यहां भारत का एकमात्र सीता मंदिर है, जहां केवल माता सीता विराजमान हैं. इस सीता मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति नहीं है. दरअसल, जब श्री राम की आज्ञा पर उनके भाई लक्ष्‍मण माता सीता को वन में छोड़कर चले गए थे, तब सीता इसी दंडकारण क्षेत्र में रह रही थीं. यहीं पर ऋषि वाल्‍मीकि के आश्रम में उन्‍होंने लव-कुश को जन्म दिया था और ऋषि ने ही उनकी शिक्षा-दीक्षा की थी. साथ ही जब भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा छोड़ा था तो उस घोड़े को लव-कुश ने इसी स्थान पर रोका था. इसके बाद घोड़े को छुड़ाने के लिए प्रभु राम ने हनुमानजी को वानर सेना के साथ भेजा. तब लव कुश ने हनुमानजी को भी बांध लिया था.


मंदिर है इस बात का प्रतीक 


स्‍थानीय निवासियों के अनुसार मंदिर में माता सीता के साथ प्रभु राम की मूर्ति का ना होना महिलाओं को इस बात की प्रेरणा देता है कि जरूरत पड़ने पर मां अकेले भी अपने बच्‍चों का लालन-पालन कर सकती है. साथ ही यहां आने वाले पुरुषों को यह अहसास दिलाता है कि उन्हें अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहिए.


बता दें कि देश के इस सीता मंदिर के अलावा श्रीलंका में भी एक सीता मंदिर है, जहां प्रभु राम की मूर्ति नहीं है. श्रीलंका में स्थित यह सीता मंदिर अम्‍मा मंदिर के नाम से मशहूर है. जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तब सीता जी ने इसी जगह पर अपने दिन बिताए थे. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)