Astro Tips for Good Luck: ज्योतिष शास्त्र में जिस तरह 12 राशियां होती हैं उसी तरह कुंडली में 12 भाव भी होते हैं और हर भाव का अपना अलग अलग महत्व होता है. कुंडली का नवम भाव सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यही भाग्य का स्थान होता है. भाग्य के स्थान का अर्थ है जिस भाव में आपको अपने पूर्व जन्म के कर्म अर्थात प्रारब्ध के साथ ही प्रभु की कृपा प्राप्त होती है. 


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भाग्य का साथ
जिसकी कुंडली में नवम भाव मजबूत होता है, वही भाग्यशाली कहलाता है. भाग्य किसी के भी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है. भाग्य का साथ मिल जाए तो व्यक्ति जीवन के कठिन से कठिन रास्ते भी पार कर जाता है और यदि भाग्य साथ न दे तो फिर जीना दूभर हो जाता है. 


धनु लग्न 
धनु लग्न वालों के लिए भाग्य भाव की राशि सिंह होती है, इस तरह धनु लग्न वालों का भाग्य सिंह राशि के अधीन हो जाता है. सिंह राशि का स्वामी सूर्य होता है और लौकिक जगत में सूर्य पिता का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए धनु लग्न वालों को अपने पिता का हर तरह से सम्मान करना चाहिए इतना अधिक सम्मान की पिता के मुख से हमेशा अपने पुत्र के लिए आशीर्वाद ही निकले. 


यदि धनु लग्न वालों का पिता से संबंध अच्छा नहीं है तो फिर यह स्थिति उनके प्रारब्ध को कमजोर करती है, सूर्य को मजबूत करने के लिए रोज सुबह उठ कर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देने के साथ ही अपने पिता की सेवा कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. 


 


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मकर लग्न
मकर लग्न वालों के लिए कन्या राशि भाग्य भाव की राशि होती है. मकर वालों का भाग्येश बुध जल्द ही भाग्योदय करने वाला होता है. बुध युवा है और ग्रहों का राजकुमार भी. उन्हें बुध को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए. मकर वालों का भाग्य खेल, लेखन, व्यापार, प्लानिंग और वाणिज्य के क्षेत्र में शीघ्रता से फलित होता है.   


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)