Prabhu Ram murti in Ayodhya: अयोध्या श्री रामजन्मभूमि के नए मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी, 2024 को रामलला की मूर्ति विराजित होने वाली है. इस दौरान पूरी अयोध्‍या दिन-रात तैयारियों में जुटी हुई है और उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही है जब 500 साल का इंतजार खत्‍म होगा और आराध्‍य प्रभु राम की मूर्ति मंदिर में विराजेगी. लोग बड़ी तादाद में अयोध्‍या पहुंच रहे हैं. राम मंदिर परिसर के बाहर की अन्‍य जगहें भी चर्चा में हैं. आज हम एक ऐसी ही जगह के बारे में जानते हैं जिसका प्रभु राम से सीधा संबंध है लेकिन वहां उनकी मूर्ति नहीं है. 


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राजा दशरथ की समाधि 


अयोध्‍या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की पत्‍नी कैकेयी ने जब बड़े पुत्र राम के लिए 14 वर्ष का वनवास और दूसरे बेटे भरत के लिए राजगद्दी मांगी तो राजा दशरथ गहरे शोक में चले गए. प्रभु राम ने वचन निभाने की रघुवंशियों की परंपरा का हवाला दिया और वनवास पर चले गए. उधर पुत्र वियोग में गम में डूबे राजा दशरथ को कुछ सूझ ही नहीं रहा था. आखिर में उन्‍होंने भरत को राजगद्दी सौंपकर वन जाने का निर्णय लिया. वन में रह रहे राजा दशरथ अपने प्राणों से प्रिय पुत्र राम का विरह सह नहीं पाए और उन्‍होंने जल्‍द ही प्राण त्‍याग दिए. इसके बाद उनके पुत्रों भरत और शत्रुघ्‍न ने उनका अंतिम संस्‍कार किया. 


राजा दशरथ का अंत्येष्टि स्थल अयोध्या-आज़मगढ़ रोड पर पूरा बाजार क्षेत्र में स्थित है. अयोध्या से इस जगह की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. पुराणों में इस जगह का नाम बिल्वहरि घाट बताया गया है. इस जगह पर एक मंदिर है और करीब से ही सरयू नदी गुजरती है. साथ ही जिस जगह पर राजा दशरथ का पार्थिव शरीर रखा गया था, वहां एक स्‍मारक है. 


नहीं है प्रभु राम की मूर्ति 


राजा दशरथ का जब अंतिम संस्‍कार हुआ तब उनके 2 पुत्र राम और लक्ष्‍मण उनका वचन निभाने के लिए वनवास में थे. भरत और शत्रुघ्‍न ने ही पिता राजा दशरथ का अंतिम संस्‍कार किया था इसलिए यहां राजा दशरथ के दोनों तरफ भरत और शत्रुघ्‍न की ही मूर्तियां उकेरी गईं हैं. इस मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति नहीं है. हालांकि राजा दशरथ के चारों बेटों की चरण पादुकाएं यहां प्रतीकत्मक तौर पर बनी हुईं हैं. साथ ही इस मंदिर में एक शिवलिंग भी है. दरअसल, प्रभु राम ही नहीं उनके पूर्वज भी शिव भक्‍त थे. इसके अलावा इस मंदिर में भगवान राम की वंशावली भी दी गई है, जो कि बेहद रोचक है.